Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
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अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक
तण्णं तुम देवाणुप्पिया ! ममचुलमाउयाए धारिणी देवीए अयमेयारूवं अकालडोहलं . विणेहि ॥ ५१ ॥ तएणं से देवे अभएणकुमारेणं एवंवुत्ते समाणे हट्ट तुटे, - अभयं कुमारं एवं वयासी-तुमं देवाणुप्पिया! सुणिव्वुयवीसत्ते अत्थाहिअहतह चुल्लुमाउयाए धारिणीदेवीए अयमेयारूवं डोहलं विणेमी तिकटु; अभयकुमारस्स अंतियाओ पडिणिक्खमइ २त्ता उत्तरपुरच्छिमेणं बेभारपन्वय वेउब्विय समुग्घाएणं समोहण्णइ २संखेजाइ जोयणाइ दंडणिस्सरइ जाव दोच्चंपि वेउब्विय समुग्घाएणं समोहणाइ२ खिप्पामेव
गज्जइ सविज्जुयं सफुसित पंचवण्ण मेहणिणाओवसोहिथं दिव्यं पाउससिरिं विउव्वइ २त्ता,.. देवी का अकाल मेघ का दोहला पूर्ण करो. ॥ ११ ॥ जब अभय कुमारने उस देव को ऐसा कहा तब वह देव हृष्ट तुष्ट यावत् आनंदित हुवा और अभय कुपारको ऐसा योगा देनानुप्रिय ! तू अच्छी तरह. निर्वृत्ति धारनकर स्वस्थ व विश्वास वाला हो, मैं तेरी उस छोटी बात. देवका दोहल पूर्ण करूंगा. यों कह कर अभय कुमार के पास से नीकलकर ईश : को में नया का भार गिरे पर्वत की पास वैक्रेय समद्धात करके संख्यात योजन का दंड ...! यावत् दूसरी त वैक्रय समद्धत कर के गरिव कीया विद्युत चमकाइ, पानी के बुन्द सहित पांच वर्ण वाले मेघ बद्दलसे दीव्य दृष्टिका वैक्रेय
प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी.
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