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(२९)
विषय ।
कर्मों के फलकी मंदता
यशकी आवश्यकता
सम्यग्दर्शन होनेपर सकलसंयमी होनेकी सामग्रीके अभावमें देशसंयमी वा श्रावक होनेकी आवश्यकता ४०
ग्यारह प्रतिमाओं में से एक प्रतिमा धारण
करनेवालेकी प्रशंसा
ग्यारह प्रतिमाओंके नाम
नित्य पूजा आदि धर्मक्रियाओंके लिये खेती व्यापार आदि आजीविका और पक्ष प्रायश्चित्त आदिके द्वारा उसके दोष दूर करनेका उपदेश पक्ष, चर्या और साधनका स्वरूप
श्रावकके पाक्षिकादि तीन भेद
दूसरा अध्याय ।
सागारधर्मको स्वीकार करने योग्य भव्य पुरुषका लक्षण
श्रावकके आठ मूलगुण
अन्य आचार्योंके मतमें मूलगुणों में भेद मद्यके त्याग करनेका उपदेश
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मद्य पीनेमें हिंसा और उसके सेवन करनेवाले तथा त्याग करनेवालोंको कैसे फलकी प्राप्ति होती है
पृष्ठ | श्लोक |
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उसका उदाहरण
विशुद्ध आचरणका घमंड करते हुये भी मांसभक्षण करनेवालोंकी निंदा
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स्वयं मरे हुये जीवोंका मांस खानेमेंभी हिंसाका निरूपण ६५
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