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विषय ।
(३२)
पृष्ठ | श्लोक |
पूजाके लिये पुष्पवाटिका ( बगीची ) आदि बनवाना ११५ ४०
जिनपूजाका फल
११७ ४१
सिद्ध, साधु और धर्मकी
पूजाका उपदेश
११७४२
११८ ४३
सरस्वती पूजनका उपदेश जिनवाणीके पूजक जिनेंद्रदेवके ही पूजक हैं
११९ ४४
११९४५
१२० ४६
१२१ ४७
१२२ ४८
१२२ ४९
१२३ ५०
१२४ ५१
१२८ ५३
१२७ ५२
गुरुकी उपासना
गुरुकी उपासना करनेकी विधि
विनयसे गुरुका चित्त प्रसन्न करनेका उपदेश Grant for और तपश्चरण करनेका उपदेश
प्रतिदिन किये हुये दान और तपका फल किन किनको दान देना और क्यों देना धर्मपात्रोंको उनके गुणों के अनुसार तृप्त करने का उपदेश समानदत्तिका उपदेश और जैनत्व गुणकी प्रशंसा जैनियोंपर अनुग्रह करनेका उपदेश
नाम स्थापना आदि निक्षेपोंसे चारप्रकारके जैनी पात्र और उत्तरोत्तर उनकी दुर्लभता
भावजैन पर प्रेम करनेका फल
गृहस्थाचार्य वा गृहस्थोंके लिये कन्या सुवर्ण आदि देनेका उपदेश
समान धर्मी श्रावकको कन्या आदि देनेका कारण कन्यादानकी विधि और फल
उत्तम कन्या देने से भारी पुण्यका लाभ
गृहस्थोंको विवाह करनेका उपदेश
१२८५४
१२९५५
१३० ५६
१३१ ५७
१३२५८.
१३७ ५९
१३९ ६०