________________
विषय । (३६)
पृष्ठ । श्लोक। दर्शनप्रतिमाका उपसंहार और व्रत प्रतिमा धारण करनेकी योग्यता
२.९ ३२ चौथा अध्याय। व्रत प्रतिमाका लक्षण
२११ १ शल्योंके दूर करनेका कारण
२१४ २ शल्यसहित प्रतोंको धिक्कार
२१५ ३ श्रावकके उत्तरगुण
२१६ ४ अणुव्रतोंका सामान्य लक्षण और भेद
२१७ ५ स्थूल शब्दका अर्थ
२२५ ६ उत्सर्गरूप आहेसाणुव्रतका लक्षण
२२५ ७ फिर उसी अहिंसाणुव्रतका समर्थन
२२७ ८-९ गृहस्थश्रावकके आहिंसाणुव्रतका उपदेश
२२९ १० स्थावर जीवोंकी हिंसा न करनेका उपदेश २३० ११ संकल्पी हिंसाका नियम
२३२ १२ प्रयत्नपूर्वक त्याग करने योग्य हिंसाका उपदेश २३२ १३ अणुव्रत पालन करनेवाला श्रावक
२३३ १४ आतिचारोंको टालकर भावनाओंसे अणुव्रतका पालन करना
२३३ १५ मंद बुद्धियोंके लिये फिर उन्हीं आतिचारोंका खुलासा २३९ १६ फिर इसी विषयका समर्थन
२४२ १७ अतिचारका लक्षण और संख्या
२४३ १८ मंत्र तंत्र आदिसे बांधना आदि भी अतिचार हैं इसलिये उनके त्याग करनेका उपदेश
२४५ १९ अहिंसाव्रतके स्वीकार करनेकी विधि
२४६ २०
-