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ज्ञानानन्द श्रावकाचार । त्याग अरु दोय घड़ी उपरांतको अनछान्या जलका त्याग ऐसै आठ मूल गुन जाननां । सात व्यसन है तै जानना १ जूवा २ मांस ३ दारू ४ वेश्या ५ परस्त्री ६ शिकारं ७ चोरी एवं सात । ज्यासौ राजा दंड देई अरु लौकिक विषै महानिन्दा पावे ऐसा जानना । अवै मूल गुन वा सात व्यसन ताका अतीचार हिये है प्रथम दारूका अतीचार आठ पहर ऊपरका अथाना अरु चलित रस अरु जो वस्तु उफन के आई वा वस्तुका भक्षणकरै । इत्यादि अरु मांसका अतीचार चामके संगमको हींगघ्रत तैल जल इत्यादि शहदका अतीचार फूलका भक्षन अरु शहदका अंजन औषधि अरथ लैना इत्यादि। अरु पांच उदम्बरका अतीचार । अनजान फरलाका भक्षण करे अरु विना शोध्या फलका भक्षण करे इत्यादि। आठ मूल गुनके अतिचार जानता । बहुर आगे सात व्यसनके अतीचार कहिये है सो प्रथम जुवा अतिचार होडादि अर मास मदिराके पूर्व कहि आये । परस्त्रीके अतीचार क्वारी लड़क सौ कीडा करवौ । अर अकेली स्त्रीसुं ऐकांत बतलावौ 'इत्यादि' अर वेश्याके अति चार नृत्यादि वादित्र गांनता विषै आशक्त होय देखै अरु सुने । अरु वेश्या विर्षे रमे त्यां पुरषासौ गोष्ठी राखै ॥ अरु वेष्याके घर विषै जाइ इत्यादि अरू शिकारके अतीचार काष्ठ, पाषाण मृत्तका धातुका चित्रामसे धोड़ा हाथी मनुष्य आदि जीवनके आकार बनाया हुवा ताका घात करना 'इत्यादि' चोरीके अतीचार पराया धनकुं लेना वा . जोवरीकरि खोश लेना । थोड़ा मोल देय घना मोलकी वस्तुसे ले लेनी तौलमै घट