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ज्ञानानन्द श्रावकाचार ।
चौड़ा है ! अरु ग्रह नक्षत्र ताराका विमान पांचसै कोस जघन्य सवासै कोस चौड़ा है । अरु आधा गोलाके आकार गोल है। अधोभागमें सकड़ा है ऊपर चौड़ा है । ये विमान पांचों ही जातिके जोतिषी देवनके हैं । रतनमई इन ऊपर नगर हैं जिनमें रतनमई खाई हैं । रतनमई कोट रतनमई दरवाजा रतनमई महल अनेक खन संयुक्त उंचा बड़ा विस्तारने लियां विमान विर्षे स्थित है। ता नगरमें असंख्यात देवांगना बसें हैं। ताका स्वामी ज्योतिषी देव हैं । बारा वरसके राजपुत्र पुत्री साहस्य मनुष्य कैसा आकार भोग भोगते तिष्टें हैं ऐता विशेष मनुष्यका शरीर हाड़ मांस लोहू मलमूत्र संयुक्त है ज्योतिषी देवका शरीर महां सुन्दर रतनमई सुगंधमई कोमल आदि अनेक गुनकर संयुक्त है । देवनके माथे मुकट है रतनमई वस्त्र पहरे हैं । वा अनेक रतनमई आभूषन पहिने वा रतनमई महां सुगंध पहुपनकी माला पहरें ताका शरीरमें क्षुधा तृषादि कोई प्रकारके रोग नाहीं। बाल दसावत आयु पनत देव देवांगनाकी एकसी दसा रहे है । भावार्थ- देवांके जरा न व्यापे है । बहुरि विमानकी भूमकामें नाना प्रकारकी पन्ना साहस्य हरयाली दीसे अरु नाना प्रकारके बन बावड़ी नदी तालाव कुंड पर्वत आदि अनेक प्रकारकी सोभा पाजे बहुरि कठे ही पहुप बाड़ी सोभे कहीं नव निधि वा चिन्तामन रतन सो) । कहीं पन्ना मानक हीरा आदि नानाप्रकारके रतन ताके पुंन सोमैं हैं । अरु अठे मध्यलोकमें बड़ा मंडलेश्वर राजा रान करे है । तैसे ही विमानमें जोतिषी देवराज करे हैं । ताका पुन्य चक्रवर्तसू अनन्तगुना अधिक है । ताका वनन कहां ताई कहिये