Book Title: Ahimsa Vishvakosh Part 01
Author(s): Subhadramuni
Publisher: University Publication

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Page 34
________________ RXXXXXXXXXX####FEEEEEEEEEEng 準 - सत्यं दया तथा दानं स्वदारागमनं तथा। अद्रोहः सर्वभूतेषु समता सर्वजन्तुषु॥ एतत्साधारणं धर्मम् .......। (दे. भा. 6/11/21-22) सभी प्राणियों के प्रति अद्रोह (अहिंसा), सभी प्राणियों के प्रति समता-दृष्टि, सत्यभाषण, दान, स्वपत्नीव्रत- ये सर्वसामान्य (सभी के लिए आचरणीय) धर्म हैं। {12} अहिंसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः। स्वधर्मपालनं राजन् सर्वतीर्थफलप्रदम्॥ । (दे. भा. 6/12/21-22) अहिंसा, सत्य, अचौर्य, शौच, इन्द्रिय-निग्रह और स्व-धर्म का पालन- इनसे वही सुफल प्राप्त होता है जो समस्त तीर्थों के सेवन से प्राप्त होता है। 乐頻頻與與與纸纸加州纸折纸纸纸编织乐纸折纸纸纸垢乐乐乐玩玩乐乐垢妮妮妮妮妮妮 {13} अहिंसा सत्यवादश्च सत्यं शौचं दया क्षमा। वर्णिनां लिंगिनां चैव सामान्यो धर्म उच्यते।। (पु. स्मृ. 22, ग.पु. 1/205/22 __ में आंशिक परिवर्तन के साथ) अहिंसा, सत्य-भाषण, सत्य-निष्ठा के साथ रहना, (आन्तरिक) पवित्रता, दया व क्षमा-ये समस्त वर्णों और वेषधारियों के लिए सामान्य धर्म हैं। 9乐乐玩玩玩玩乐乐乐玩玩乐乐明明听乐乐听听听听听听垢玩垢%¥¥¥¥纸货玩乐乐垢呢呢呢呢呢呢呢监听 {14} एष धर्मों महायोगो दानं भूतदया तथा। ब्रह्मचर्यं तथा सत्यमनुक्रोशो धृतिः क्षमा। सनातनस्य धर्मस्य मूलमेतत् सनातनम्। (म.भा.13/अनुगीता पर्व/91/33-34) यही धर्म है, यही महान् योग है। दान, प्राणियों पर दया, ब्रह्मचर्य, सत्य, करुणा, ॐ धृति और क्षमा-ये सनातन धर्म के सनातन मूल हैं। 年の近所所所所所所所所所所所野野野野野野野野野野野野野野野さ वैदिक ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/4

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