________________ 128] [ स्थानाङ्गसूत्र सुमनस्क होता है / कोई पुरुष 'नहीं पाऊंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष नहीं आऊंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (200) / ] २०१-तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-चिद्वित्ता णामेगे सुमणे भवति, चिद्वित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, चिद्वित्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २०२-तत्रो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—चिट्ठामीतेगे सुमणे भवति, चिट्ठामोतेगे दुम्मणे भवति, चिट्ठामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २०३-तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–चिट्ठिस्सामीतेगे सुमणे भवति, चिट्ठिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, चिट्ठिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'ठहर कर' सुमनस्क होता है / कोई पुरुष 'ठहर कर' दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष 'ठहर कर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (201) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'ठहरता हूं इसलिए सुमनस्क होता है / कोई पुरुष 'ठहरता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'ठहरता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (202) / पुन: पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'ठहरू गा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'ठहरूगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष 'ठहरूगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (203) / ] 204 तमो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—अचिद्वित्ता णामेगे सुमणे भवति, अचिट्टित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, प्रचिट्ठित्ता गामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / 205 - तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–ण चिट्ठामोतेगे सुमणे भवति, ण चिट्ठामीतेगे दुम्मणे भवति, ण चिट्ठामीतेगे जोसुमणेणोदुम्मणे भवति / २०६–तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–ण चिट्ठिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण चिढिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण चिट्ठिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष नहीं ठहर कर' सुमनस्क होता है / कोई पुरुष नहीं ठहर कर' दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष नहीं ठहर कर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (204) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष नहीं ठहरता हूं इसलिए सुमनस्क होता है, कोई पुरुष नहीं ठहरता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष नहीं ठहरता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (205) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष नहीं ठहरूगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं ठहरूगा' इस लिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष 'नहीं ठहरू गा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (206) / २०७-तपो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–णिसिइत्ता णामेगे समणे भवति, णिसिइत्ता जामेगे दुम्मणे भवति, णिसिइत्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / 208 - [तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-णिसीदामोतेगे सुमणे भवति, णिसीदामीतेगे दुम्मणे भवति, णिसोदामीतेगे णोसमणेणोदुम्मणे भवति / २०६-तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा- णिसीदिस्सामीतेगे सुमणे भवति, णिसीबिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, णिसीदिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'बैठ कर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org