________________ 132 | स्थानाङ्गसूत्र भवति / २३३–तओं पुरिसजाया पण्णता, त जहा--भासिस्सामीतेगे सुमणे भवति, भासिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, भासिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'संभाषण कर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'संभाषण कर' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'संभाषण कर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (231) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के होते हैं—कोई पुरुष 'मैं संभाषण करता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'मैं संभाषण करता हूं इसलिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष'मैंसंभाषण करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (232) / पुनः पुरुष तीन र क कह गय है-कोई पुरुष 'मैं सभाषण करू गा' इसलिए समनस्क होता है। कोई परुष 'मैं संभाषण करूगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'मैं संभाषण करूगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (233) / २३४--[तो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-अभासित्ता णागे सुमणे भवति, अभासित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अभासित्ता गामगे जोसुमणे-गोदुम्मणे भवति / 235- तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहाण भासामीतेगे सुमणे भवति, ण भासामीतेगे दुम्मणे भवति, ण भासामीतेगे गोसमणे-णोदुम्मणे भवति / 236- तनों पुरिसजाया पणत्ता, तजहा-ण भासिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण भासिस्सामीते दुम्मणे भवति, च भासिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष नहीं संभाषण कर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं संभाषण कर' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष नहीं संभाषण कर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (234) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष नहीं संभाषण करता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है / कोई पुरुष नहीं संभाषण करता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष नहीं संभाषण करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (235) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'नहीं संभाषण करूगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं संभाषण करूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'नहीं संभाषण करूगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (236) / ] बच्चा-अदच्चा-पद २३७-[तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–दच्चा णामेगे समणे भवति, दच्चा णामेगे दुम्मणे भवति, दच्चा णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २३८-तों पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहादेमीतेगे सुमणे भवति, देमीतेगे दुम्मणे भवति, देमीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २३६-तों पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-दासामीतेगे सुमणे भवति, दासामीतेगे दुम्मणे भवति, दासामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'देकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'देकर' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'देकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क (237) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'देता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'देताहूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'देता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्म For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org