________________ तृतीय स्थान--द्वितीय उद्देश ] [ 135 २५५--[तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--पिबित्ता णामेगे सुमणे भवति, पिबित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, पिबित्ता गामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २५६---तो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-पिबामीतेगे सुमणे भवति, पिबामीतेगे दुम्मणे भवति, पिबामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २५७-तरों पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा--पिबिस्सामीतेगे सुमणे भवति, पिबिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, पिबिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'पीकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'पीकर' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'पीकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (255) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'पीता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'पीता हूं इसलिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष 'पीता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (256) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'पीऊंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'पीऊंगा' इसलिए दुर्भनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'पीऊंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (257) / ] २५८--[तओं पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-अपिबित्ता पामेगे सुमणे भवति, अपिबित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अपिबित्ता णामेगे जोसमणे णोदुम्मणे भवति / २५६-तों पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा–ण पिबामोतेगे सुमणे भवति, ण पिबामीतेगे दुम्मणे भवति, ण पिबामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २६०-तग्रो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा–ण पिबिस्सामितेगे सुमण भवति, ण पिबिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण पिबिस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति] / / पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'नहीं पीकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं पीकर' दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष नहीं पीकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (258) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष नहीं पीता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं पीता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष नहीं पीकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (256) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष नहीं पीऊंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं पीऊंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष नहीं पीऊंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (260) / ] २६१-[तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुइत्ता णामेगे सुमणे भवति, सुइत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, सुइत्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २६२-तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा---सुग्रामीतेगे सुमणे भवति, सुग्रामीतेगे दुम्मणे भवति, सुआमीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २६३–तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुइस्सामीतेगे सुमणे भवति, सुइस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, सुइस्सामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'सोकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'सोकर' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'सोकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (261) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'सोता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org