________________ तृतीय स्थान–चतुर्थ उद्देश ] [ 177 ४५२-जंबहीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं तो वासा पण्णत्ता, त जहा--रम्भगवासे, हेरण्णवते, एरवए। जम्बूद्वीपनामक द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर भाग में तीन वर्ष कहे गये हैं-रम्यक वर्ष, हैरण्यवतवर्ष और ऐरवत वर्ष / वर्षधर-पर्वत-सूत्र 453- जंबुद्दीवे दोवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं तो वासहरपव्वता पण्णत्ता, त जहा-- चुल्ल हिमवंते, महाहिमवंते, णिसढे / जम्बूद्वीपनामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण भाग में तीन वर्षधर पर्वत कहे गये हैंक्षुल्ल हिमवान्, महाहिमवान् और निषधपर्वत / ४५४–जंबुद्दीवे दोवे मदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं तनो बासहरपव्वत्ता पण्णता, त जहाणोलवते, रुप्पी, सिहरी। जम्बूद्वीपनामक द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर भाग में तीन वर्षधर पर्वत कहे गये हैंनीलवान्, रुक्मी और शिखरी पर्वत / महाद्रह-सूत्र ४५५-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं तनो महादहा पण्णत्ता, तजहा--- पउमदहे, महापउमदहे, तिगिछदहे / तत्थ णं तमो देवतानो महिड्डियानो जाव पलिप्रोवमद्वितीयानो परिवसंति, त जहा-सिरी, हिरी, धिती। जम्बूद्वीपनामक द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण भाग में तीन महाद्रह कहे गये हैं-पद्मद्रह, महापद्मद्रह और तिगिछद्रह। इन द्रहों पर एक पल्योपम की स्थितिवाली तीन देवियाँ निवास करती हैं-श्रीदेवी, ह्रीदेवी और धृतिदेवी। ४५६-एवं-उत्तरे ण वि, नवरं केसरिदहे, महापोंडरीयदहे, पोंडरीयदहे। देवताओ-.. कित्तो, बुद्धी, लच्छी। ___इसी प्रकार मन्दर पर्वत के उत्तर भाग में भी तीन महाद्रह कहे गये हैं-केशरीद्रह, महापुण्डरीकद्रह और पुण्डरीकद्रह / इन द्रहों पर भी एक पल्योपम की स्थितिवाली तीन देवियां निवास करती हैं--कीतिदेवी, बुद्धिदेवी और लक्ष्मीदेवी। नदी-सूत्र ___४५७-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं चुल्लहिमवंतानो वासधरपव्वताओ पउमदहाम्रो महादहाओ तो महाणदोनो पवहंति, त जहा--गंगा, सिंधू, रोहिलंसा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org