________________ 334] [स्थानाङ्गसूत्र 3. रूपसम्पन्न भी, शीलसम्पन्न भी--कोई पुरुष रूपसम्पन्न भी होता है और शीलसम्पन्न भी होता है। 4. न रूपसम्पन्न, न शीलसम्पन्न--कोई पुरुष न रूपसम्पन्न होता है और न शीलसम्पन्न ही होता है (386) / जाति-सूत्र ३६०--चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जातिसंपण्णे णाममेगे णो कुलसंपण्णे, कुलसंपण्णे गाममेगे णो जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेवि कुलसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे णो कुलसंपण्णे। पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे-- 1. जातिसम्पन्न, न कुलसम्पन्न--कोई पुरुष जातिसम्पन्न (उत्तम मातृपक्षवाला) होता है, किन्तु कुलसम्पन्न (उत्तम पितृपक्षवाला) नहीं होता। 2. कुलसम्पन्न, न जातिसम्पन्न--कोई पुरुष कुलसम्पन्न होता है, किन्तु जातिसम्पन्न नहीं होता। 3. जातिसम्पन्न भी, कुलसम्पन्न भी--कोई पुरुष जातिसम्पन्न भी होता है और कुलसम्पन्न भी होता है। 4. न जातिसम्पन्न, न कुलसम्पन्न--कोई पुरुष न जातिसम्पन्न होता है और न कुलसम्पन्न ही होता है (360) / ३९१--चत्तारि परिसजाया पण्णत्ता, त जहा-जातिसंपण्णे णाममेगे जो बलसंपण्णे, बलसंपण्णे णाममेगे णो जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेवि बलसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे णो बलसंपण्णे। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे-- 1. जातिसम्पन्न, बलसम्पन्न न--कोई पुरुष जातिसम्पन्न होता है, किन्तु बलसम्पन्न नहीं होता। 2. बलसम्पन्न, जातिसम्पन्न न कोई पुरुष बलसम्पन्न होता है, किन्तु जातिसम्पन्न नहीं होता। 3. जातिसम्पन्न भी, बलसम्पन्न भी-कोई पुरुष जातिसम्पन्न भी होता है और बलसम्पन्न भी होता है। 4. न जातिसम्पन्न, न बल सम्पन्न--कोई पुरुष न जातिसम्पन्न होता है और न बलसम्पन्न ही होता है (361) / ३९२--एवं जातीए य, रूवेण य, चत्तारि आलावगा, एवं जातीए य, सुएण य, एवं जातीए य, सोलेण य, एवं जातीए य, चरित्तेण य, एवं कुलेण य, बलेण य, एवं कुलेण य, रूवेण य, कुलेण य, सुत्तेण य, कुलेण य, सीलेण य, कुलेण य चरित्तेण य, [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहाजातिसंपण्णे गाममेगे जो रूवसंपण्णे, रूवसंपण्णे गाममेगे णो जातिसंपणे, एगे जातिसंपण्णेवि रूवसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे णो रूवसंपण्णे] / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org