________________ चतुर्थ स्थान–चतुर्थ उद्देश] [ 421 एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पणत्ता, त जहा-उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी, उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी, गंभीरे णाममेगे उत्ताणोभासी, गंभीरे णाममेगे गंभीरोभासी। पुनः उदक चार प्रकार के गये हैं / जैसे१. उत्तान और उत्तानावभासी--कोई जल उथला होता है और उथला जैसा ही प्रतिभासित होता है। 2. उत्तान और गम्भीरावभासी—कोई जल उथला होता है किन्तु स्थान की विशेषता से ____ गहरा प्रतिभासित होता है / 3. गम्भीर और उत्तानावभासी-कोई जल गहरा होता है, किन्तु स्थान की विशेषता से उथला जैसा प्रतिभासित होता है। 4. गम्भीर और गम्भीरावभासी-कोई जल गहरा होता है और गहरा ही प्रतिभासित होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे--- 1. उत्तान और उनानावभासी--कोई पुरुष उथला (तुच्छ) होता है और उसी प्रकार के तच्छ कार्य करने से उथला ही प्रतिभासित होता है। 2. उत्तान और गम्भीरावभासी-कोई पुरुष उथला होता है, किन्तु गम्भीर जैसे दिखाऊ कार्य करने से गम्भीर प्रतिभासित होता है। 3. गम्भीर और उत्तानावभासी-कोई पुरुष गम्भीर होता है, किन्तु तुच्छ कार्य करने से उथला जैसा प्रतिभासित होता है। 4. गम्भीर और गम्भीरावभासी-कोई पुरुष गम्भीर होता है और तुच्छता प्रदर्शित न __ करने से गम्भीर ही प्रतिभासित होता है (585) / ५८६--चत्तारि उदही पण्णता, त जहा-उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोदही, उत्ताणे णाममेगे गंभीरोदही, गंभोरे गाममेगे उत्ताणोदही, गभीरे णाममेगे गभीरोदही / एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तजहा–उत्ताणे णाममेगे उत्ताणहियए, उत्ताणे णाममेग गभोरहियए, ग भोरे णाममेग उत्ताणहियए, गंभोरे गाममेग गभीरहियए / समुद्र चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे१. उत्तान और उत्तानोदधि-कोई समुद्र पहले भी उथला होता है और बाद में भी उथला होता है क्योंकि अढ़ाई द्वीप से बाहर के समुद्रों में ज्वार नहीं आता। 2. उत्तान और गम्भीरोदधि-कोई समुद्र पहले तो उथला होता है, किन्तु बाद में ज्वार पाने पर गहरा हो जाता है। 3. गम्भीर और उत्तानोदधि-कोई समुद्र पहले गहरा होता है, किन्तु बाद में ज्वार न रहने पर उथला हो जाता है। 4. गम्भीर और गम्भीरोदधि-कोई समुद्र पहले भी गहरा होता है और बाद में भी गहरा होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org