________________ पंचम स्थान-तृतीय उद्देश ] [521 २१३–लक्खणसंवच्छरे, पंचविहे पण्णत्ते, तं जहासंग्रहणी-गाथाएँ समगं णक्खत्ता जोगं जोयंति समगं उदू परिणमंति / णच्चुण्हं णातिसीतो, बहूदगो होति णक्खत्तो // 1 // ससिसगलपुण्णमासी, जोएइ विसमचारिणवखत्ते / कडुम्रो बहूदप्रो वा, तमाहु संवच्छरं चंदं // 2 // विसमं पवालिणो परिणमंति अणुदूसु देति पुष्फफलं / वासं ण सम्म वासति, तमाहु संवच्छरं कम्मं // 3 // पुढविदगाणं तु रसं, पुष्फफलाणं तु देइ प्रादिच्चो / अप्पेणवि वासेणं, सम्मं णिप्फज्जए सासं // 4 // प्रादिच्चतेयतविता, खणलवदिवसा उऊ परिणमंति / पुरिति रेणु थलयाई, तमाहु अभिडितं जाण // 5 // लक्षण-संवत्सर पाँच प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. नक्षत्र-संवत्सर, 2. चन्द्र-संवत्सर, 3. कर्म-(ऋतु)संवत्सर, 4. आदित्य-संवत्सर, 5. अभिवधित-संवत्सर (213) / विवेचन-उपर्युक्त चार सूत्रों में अनेक प्रकार के संवत्सरों (वर्षों) का और उनके भेद-प्रभेदों का निरूपण किया गया है / संस्कृत टीकाकार के अनुसार उनका विवरण इस प्रकार है 1. नक्षत्र-संवत्सर—जितने समय में चन्द्रमा नक्षत्र-मण्डल का एक वार परिभोग करता है, उतने काल को नक्षत्रमास कहते हैं। नक्षत्र 27 होते हैं, अत: नक्षत्र मास 27 दिन का होता है / यतः 12 मास का संवत्सर (वर्ष) होता है, अतः नक्षत्र-संवत्सर में (27674 12= ) 32753 दिन होते हैं। 2. युगसंवत्सर-पाँच संवत्सरों का एक युग माना जाता है। इसमें तीन चन्द्र-संवत्सर और दो अभिवधित संवत्सर होते हैं / यत: चन्द्रमास में 2633 दिन होते हैं, अत: चन्द्र संवत्सर में (26334 12=) 35413 दिन होते हैं / अभिवधित मास में 31131 दिन होते हैं, इसलिए अभिवधित संवत्सर में 311314 12-)38343 दिन होते हैं। अभिवधित संवत्सर में एक मास अधिक होता है। 3. प्रमाण-संवत्सर-दिन, मास आदि के परिमाण वाले संवत्सर को प्रमाण-संवत्सर कहते हैं। 4. लक्षण-संवत्सर--लक्षणों से ज्ञात होने वाले वर्ष को लक्षण-संवत्सर कहते हैं। 5. शनिश्चर-संवत्सर-जितने समय में शनिश्चर ग्रह एक नक्षत्र अथवा बारह राशियों का भोग करता है उतने समय को शनिश्चर-संवत्सर कहते हैं। 6. ऋतु-संवत्सर-दो मास-प्रमाणकाल की एक ऋतु होती है। और छह ऋतुओं का एक संवत्सर होता है / ऋतुमास में 30 दिन-रात होते हैं, अत: ऋतु-संवत्सर में 360 दिन-रात होते हैं / इसे ही कर्म-संवत्सर कहते हैं। 7. आदित्य-संवत्सर-प्रादित्य मास में साढ़े तीस दिन-रात होते हैं, अत: आदित्य-संवत्तर में (303 4 12 =) 366 दिन-रात होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org