________________ 528 ] [ स्थानाङ्गसूत्र जम्बूद्वीपनामक द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर भाग में (ऐरवत क्षेत्र में) पाँच महानदियां रक्ता महानदी को समर्पित होती हैं (उसमें मिलती हैं)। जैसे-- 1. कृष्णा, 2. महाकृष्णा, 3. नोला, 4. महानीला, 5. महातीरा (232) / २३३–जंबुद्दोवे दोवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे गं रत्तावति महार्णाद पंच महाणदीयो समप्पति, तं जहा-इंदा, इंदसेणा, सुसेणा, वारिसेणा, महाभोगा। __ जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तर भाग में (ऐरवत क्षेत्र में) पाँच महानदियां रक्तावती महानदी को समर्पित होती हैं (उसमें मिलती हैं) / जैसे 1. इन्द्रा, 2. इन्द्रसेना, 3. सुषेणा, 4. वारिषेणा, 5. महाभोगा (233) / तीर्थकर-सूत्र २३४---पंच तित्थगरा कुमारवासमझे वसित्ता मडा (भवित्ता अगाराम्रो प्रणगारियं) पव्वइया, तं जहा--बासुपुज्जे, मल्ली, अरिटुणेभी, पासे, वीरे। पाँच तीर्थंकर कुमार वास में रहकर मुण्डित हो अगार से अनगारिता में प्रवजित हुए / जैसे 1. वासुपूज्य, 2. मल्ली, 3. अरिष्टनेमि, 4. पार्श्व और 5. महावीर (234) / सभा-सूत्र २३५-चमरचंचाए रायहाणीए पंच सभा पण्णता, तं जहा---सभासुधम्मा, उववातसभा, अभिसेयसभा, अलंकारियसभा, ववसायसभा। अमरचंचा राजधानी में पांच सभाएं कही गई हैं / जैसे 1. सुधर्मासभा (शयनागार) 2. उपपात सभा (उत्पत्ति स्थान) 3. अभिषेकसभा (राज्याभिषेक का स्थान) 4. अलंकारिक सभा (शरीर-सज्जा-भवन) 5. व्यवसाय सभा (अध्ययन या तत्वनिर्णय का स्थान) (235) / __ २३६-एगमेगे णं इंदट्ठाणे पंच सभाम्रो पण्णतामो, तं जहा सभासुहम्मा, (उववातसभा, अभिसेयसभा, अलंकारियसभा), ववसायसभा / इसी प्रकार एक-एक इन्द्रस्थान में पाँच-पाँच सभाएं कही गई हैं / जैसे 1. सुधर्मा सभा, 2. उपपात सभा, 3. अभिषेक सभा, 4. अलंकारिक सभा और 5. व्यवसाय सभा (236) / नक्षत्र-सूत्र २३७--पंच णक्खत्ता पंचतारा पण्णत्ता, तं जहा-धणिट्ठा, रोहिणो, पुणव्वसू, हत्थो, विसाहा। पाँच नक्षत्र पाँच-पाँच तारावाले कहे गये हैं / जैसे१. धनिष्ठा, 2. रोहिणी, 3. पुनर्वसु, 4. हस्त, 5. विशाखा (237) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org