________________ षष्ठ स्थान ] [ 535 छह जीवनिकाय कहे गये हैं / जैसे१. पृथ्वोकायिक, 2. अप्ककायिक, 3. तेजस्कायिक, 4. वायुकायिक, 5. वनस्पति कायिक, 6. त्रसकायिक (6) / ७-छ तारगहा पण्णता, तं जहा-सुक्के, बुहे, बहस्सती, अंगारए, सणिच्छरे, केतू / छह ताराग्रह (तारों के आकार वाले ग्रह) कहे गये हैं। जैसे१. शुक्र, 2. बुध, 3. बृहस्पति, 4. अंगारक (मंगल), 5. शनिश्चर 6. केतु (7) / ८-छब्धिहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा-पुढविकाइया, (प्राउकाइया तेउ.. काइया, वाउकाइया, वणस्सइकाइया), तसकाइया। संसार-समापन्नक जीव छह प्रकार के कहे गये हैं / जैसे१. पृथ्वीकायिक, 2. अप्कायिक, 3. तेजस्कायिक, 4. वायुकायिक, 5. वनस्पति कायिक, 6. त्रसकायिक (8) / गति-आगति-सूत्र -पुढविकाइया छगतिया छआगतिया पण्णत्ता, तं जहा—पुढविकाइए पुढक्किाइएसु उववज्जमाणे पुढविकाइएहितो वा, (ग्राउकाइएहितों वा, ते उकाइपहितो वा, वाउकाइएहितो वा, वणस्सइकाइएहितो वा), तसकाइएहितो वा उववज्जेज्जा। से चेव णं से पुढविकाइए पुढविकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढ विकाइयत्ताए वा, (पाउकाइयत्ताए वा, तेउकाइयत्ताए वा, वाउकाइयत्ताए वा, वणस्सइकाइयत्ताए वा) तसकाइयत्ताए बा गच्छेज्जा / पृथिवीकायिक जीव षड्-गतिक और षड़ -प्रागतिक कहे गये हैं। जैसे१. पृथिवीकायिक जीव पृथिवीकायिकों में उत्पन्न होता हुआ पृथिवीकायिकों से, या अप्कायिकों से, या तेजस्कायिकों से, या वायुकायिकों से, या वनस्पतिकायिकों से, या त्रसकायिकों से आकर उत्पन्न होता है। वही पृथिवीकायिक जीव पृथिवीकायिक पर्याय को छोड़ता हुआ पृथिवीकायिकों में, या अप्कायिकों में, या तेजस्कायिकों में, या वायुकायिकों में, या वनस्पतिकायिकों में, या त्रसकायिकों में जाकर उत्पन्न होता है (6) १०-प्राउकाइया छगतिया छागतिया एवं चेव जाव तसकाइया। इसी प्रकार अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक और सकायिक जीव छह स्थानों में गति तथा छह स्थानों से आगति करने वाले कहे गये हैं। जीव-सूत्र ११–छव्विहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा-प्राभिणिबोहियणाणी, (सुयणाणी, प्रोहिणाणी, मणपज्जवणाणी), केवलणाणी, अण्णाणी / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org