________________ 556 ] [ स्थानाङ्गसूत्र जम्बूद्वीप नामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व भाग में सीता महानदी के दोनों कूलों में मिलने वाली छह अन्तर्नदियाँ कही गई हैं / जैसे 1. ग्राहवती, 2. द्रहवती, 4. पंकवती, 3. तप्तजला, 5. मत्तजला, 6. उन्मत्तजला (11) / १२-जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीतोदाए महाणदीए उभयकले छ अंतरणदोनो पण्णत्तानो, तं जहा-खीरोदा, सीहसोता, अंतोवाहिणी, उम्मिमालिणी, फेगमालिणी, गंभीरमालिणी। जम्बूद्वीपनामक द्वीप में मन्दर पर्वत के पश्चिम भाग में सीतोदा महानदी के दोनों कूलों में मिलने वाली छह अन्तर्नदियाँ कही गई हैं / जैसे 1. क्षीरोदा, 2. सिंहस्रोता, 3. अन्तर्वाहिनी, 4. उमिमालिनी, 5. फेनमालिनी 6. गम्भीरमालिनी (62) / धातकीषण्ड-पुष्करवर-सूत्र ९३-धायइसंडदीवपुरस्थिमद्ध ण छ प्रकम्मभूमीनो पण्णत्तानो, तं जहा–हेमवए, (हेरष्णबते, हरिवासे, रम्मगवासे, देवकुरा, उत्तरकुरा)। धातकीषण्ड द्वीप के पूर्वार्ध में छह अकर्मभूमियाँ कही गई हैं / जैसे१. हैमवत, 2. हैरण्यवत, 3. हरिवर्ष, 4. रम्यकवर्ष, 5. देवकुरु, 6. उत्तरकुरु (63) / १४-एवं जहा जंबुद्दीवे दीवे जाव अंतरणदीपो जाव पुक्खरवरदीवद्धपच्चस्थिमद्ध भाणितध्वं। इसी प्रकार जैसे जम्बूद्वीप नामक द्वीप में वर्ष, वर्षधर, आदि से लेकर अन्तर्नदी तक का वर्णन किया गया है वैसा ही धातकीषण्ड द्वीप में भी जानना चाहिए / इसी प्रकार धातकीषण्ड द्वीप के पश्चिमा में तथा पुष्करवरद्वीपार्ध के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में भी जम्बूद्वीप के समान सर्व वर्णन जानना चाहिए (64) / ऋतु-सूत्र ९५-छ उदू पण्णत्ता, त जहा---पाउसे, वरिसारत्ते, सरए, हेमंते, वसंते, गिम्हे / ऋतुएँ छह कही गई हैं / जैसे१. प्रावृट् ऋतु-आषाढ़ और श्रावण मास / 2. वर्षा ऋतु-भाद्रपद और आश्विन मास / 3. शरद् ऋतु-कार्तिक और मृगशिर मास / 4. हेमन्त ऋतु-पौष और माघ मास / 6. वसन्त ऋतु-फाल्गुन और चैत्र मास / 6. ग्रीष्म ऋतु-वैशाख और ज्येष्ठ मास (65) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org