________________ पंचम स्थान-द्वियीय उद्देश ] [485 राजा का अन्त:पुर आ जावे), राजपुरुष उस स्थान को सर्व पोर से घेर लें और निकलने के द्वार बन्द कर दें, तब वह वहां रह सकता है। ____ इन पाँच कारणों से श्रमण-निर्ग्रन्थ राजा के अन्तःपुर में प्रवेश करता हुआ तीर्थकरों की आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करता है (102) / गर्भ-धारण-सूत्र १०३-पंचहि ठाणेहि इत्थी पुरिसेण सद्धि असंवसमाणीवि गभं धरेज्जा, तं जहा१. इत्थी दुम्वियडा दुण्णिसण्णा सुक्कपोग्गले अधिद्विज्जा / 2. सुक्कपोग्गलसंसि? व से वत्थे अंतो जोणीए अणुपवेसेज्जा। 3. सई वा से सुक्कपोग्गले अणुपवेसेज्जा। 4. परो व से सुक्कपोग्गले अणुपवेसेज्जा। 5. सोयोदगवियडेण वा से प्रायममाणीए सुक्कपोग्गला अणुपवेसेज्जा-इच्चेतेहि पंचहि ठाणेहि (इत्थी पुरिसेण सद्धि असंवसमाणीवि गम्भ) धरेज्जा। ___ पाँच कारणों से स्त्री पुरुष के साथ संवास नहीं करती हुई भी गर्भ को धारण कर सकती है / जैसे 1. अनावृत (नग्न) और दुनिषण्ण (विवृत योनिमुख) रूप से बैठी अर्थात् पुरुष-वीर्य से संसृष्ट स्थान को आक्रान्त कर बैठी हुई स्त्री शुक्र-पुद्गलों को आकर्षित कर लेवे / 2. शुक्र-पुद्गलों से संसृष्ट वस्त्र स्त्री को योनि में प्रविष्ट हो जावे। 3. स्वयं ही स्त्री शुक्र-पुद्गलों को योनि में प्रविष्ट करले। 4. दूसरा कोई शुक्र-पुद्गलों को उसकी योनि में प्रविष्ट कर दे। 5. शीतल जल वाले नदी-तालाब आदि में स्नान करती हुई स्त्री की योनि में यदि (बह कर आये) शुक्र-पुद्गल प्रवेश कर जावें। इन पाँच कारणों से स्त्री पुरुष के साथ संवास नहीं करती हुई भी गर्भ धारण कर सकती है (103) / १०४–पंचर्चाह ठाणेहि इत्थी पुरिसेण सद्धि संवसमाणीवि गम्भं णो धरेज्जा, तं जहा१. अप्पत्तजोवणा। 2. प्रतिकंतजोवणा। 3. जातिवंझा। 4. गेलण्णपुट्टा / 5. दोमणंसियाइच्चेतेहिं पंचहि ठाणेहि (इत्थी पुरिसेण सद्धि संवसमाणीवि गभं) णो धरेज्जा। पाँच कारणों से स्त्री पुरुष के साथ संवास करती हुई भी गर्भ को धारण नहीं करती / जैसे१. अप्राप्तयौवना--युवावस्था को अप्राप्त, अरजस्क बालिका / 2. अतिक्रान्तयौवना-जिसकी युवावस्था बीत गई है, ऐसी अरजस्क वृद्धा / 3. जातिबन्ध्या--जन्म से ही मासिक धर्म रहित बाँझ स्त्री। 4. ग्लानस्पृष्टा-रोग से पीड़ित स्त्री। 5. दौर्मनस्यिका--शोकादि से व्याप्त चित्त वाली स्त्री। इन पाँच कारणों से पुरुष के साथ संवास करती हुई भी स्त्री गर्भ को धारण नहीं करती है (104) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org