________________ चतुर्थ स्थान--तृतीय उद्देश ] 2. तम और ज्योति --कोई पुरुष पहले तम (अज्ञानी) होता है, किन्तु पीछे ज्योति (ज्ञानी) हो जाता है। 3. ज्योति और तम-कोई पुरुष पहले ज्योति (ज्ञानी) होता है, किन्तु पीछे तम (ग्रज्ञानी) हो जाता है। 4. ज्योति और ज्योति-कोई पुरुष पहले भी ज्योति (ज्ञानी) होता है और पीछे भी ज्योति (ज्ञानी) ही रहता है (460) / ४६१-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहां-तमे णाममेगे तमवले, तमे णाममेगे जोतिबले, जोती णाममेगे तमबले, जोतो णाममेगे जोतिबले / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे१. तम और तमोबल --कोई पुरुष तम (ग्रजानी और मलिन स्वभावी) होता है और तमो बल (अंधकार, अज्ञान और असदाचार ही उसका बल) होता है। 2. तम और ज्योतिर्बल-कोई पुरुष तम (अज्ञानी) होता है, किन्तु ज्योतिर्बल (प्रकाश, ज्ञान और सदाचार ही उसका बल) होता है। 3. ज्योति और तमोबल-कोई पुरुष ज्योति (ज्ञानी) होकर भी तमोबल (असदाचार) ___वाला होता है। 4. ज्योति और ज्योतिर्बल-कोई पुरुष ज्योति (ज्ञानी) होकर ज्योतिर्बल (सदाचारी) होता है (461) / ४६२-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहातमे णाममेगे तमबलपलज्जणे, तमे णाममेगे जोतिबलपलज्जणे 4 / [जोती णाममेगे तमबलपलज्जणे, जोती णाममेगे जोतिबलपलज्जणे] / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे--- 1. तम और तमोबलप्ररंजन-कोई पुरुष तम और तमोबल में रति करने वाला होता है। 2. तम और ज्योतिर्बलप्ररंजन-कोई पुरुष तम किन्तु ज्योतिर्बल में रति करने वाला __ होता है। 2. ज्योति और तमोबलप्ररंजन-कोई पुरुष ज्योति, किन्तु तमोबल में रति करने वाला होता है। 4. ज्योति और ज्योतिर्बलप्ररंजन-कोई पुरुष ज्योति और ज्योतिर्बल में रति करने वाला ___ होता है (462) / परिज्ञात-अपरिजात-सूत्र ४६३-चत्तारि पुरिसजाया पणत्ता, तं जहा--परिण्णातकम्मे णाममेगे णो परिणातसणे, परिणातसण्णे गाममेगे णो परिणातकम्मे, एगे परिणातकम्मेवि। [परिणातसणेवि, एगे णो परिणातकम्मे णो परिणातसष्णे] 4 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org