________________ चतुर्थ स्थान-- चतुर्ण उद्देश] [413 विवेचन वैमानिक देवों के संवास को दिव्यसंवास कहते हैं। असुरकुमार भवनवासी देवों के संवास को आसुरसंवास कहते हैं / राक्षस व्यन्तर देवों के संवास को राक्षस-संवास कहते हैं और मनुष्यों के संवास को मानुषसंवास कहते हैं / ५६०-चउब्धिहे संवासे पण्णत्ते, त जहा देवे गाममेग देवीए सद्धि संवासं गच्छति, देवे णाममेग असुरीए सद्धि संवासं गच्छति, असुरे णाममेग देवीए सद्धि संवासं गच्छति, असुरे गाममेगे असुरीए सद्धि संवासं गच्छति / पुनः संवास चार प्रकार का कहा गया है / जैसे१. कोई देव देवियों के साथ संवास करता है। 2. कोई देव असुरियों के साथ संवास करता है / 3. कोई असुर देवियों के साथ संवास करता है। 4. कोई असुर असुरियों के साथ संवास करता है (560) / 561 --चउन्विधे संवासे पण्णत्ते, त जहा-देवे णाममेग देवीए सद्धि संवासं गच्छति, देवे गाममेग रक्खसीए सद्धि संवासं गच्छति, रक्खसे णाममेगे देवीए सद्धि संवासं गज्छति, रक्खसे णाममेगे रक्खसीए सद्धि संवासं गच्छति / पुन: संवास चार प्रकार का कहा गया है। जैसे१. कोई देव देवियों के साथ संवास करता है। 2. कोई देव राक्षसियों के साथ संवास करता है। 3. कोई राक्षस देवियों के साथ संवास करता है। 4. कोई राक्षस राक्षसियों के साथ संवास करता है (561) / ५६२–चउविधे संवासे पण्णत्ते, त जहा–देवे णाममेगे देवीए सद्धि संवासं गच्छति, देवे णाममेगे मणुस्सीए सद्धि संवास गच्छति, मणुस्से णाममेगे देवीए सद्धि संवासं गच्छति, मणुस्से गाममेगे मणुस्सीए सद्धि संवासं गच्छति / पुनः संवास चार प्रकार का कहा गया है / जैसे---- 1. कोई देव देवी के साथ संवास करता है / 2. कोई देव मानुषी के साथ संवास करता है / 3. कोई मनुष्य देवी के साथ संवास करता है। 4. कोई मनुष्य मानुषी स्त्री के साथ संवास करता है (562) / ५६३–चउम्विधे संवासे पण्णते, त जहा-असुरे णाममेगे असुरीए सद्धि सवासं गच्छति, असुरे णाममेगे रक्खसीए सद्धि संवास गच्छति, रक्खसे णाममेगे असुरीए सद्धि सवास गच्छति, रक्खसे णाममेगे रक्खसीए सद्धि संवासं गच्छति / / पुनः संवास चार प्रकार का कहा गया है / जैसे--- 1. कोई असुर असुरियों के साथ संवास करता है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org