________________ 336 ] [ स्थानाङ्गसूत्र पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे१. जातिसम्पन्न, चरित्रसम्पन्न न-कोई पुरुष जातिसम्पन्न होता है, किन्तु चरित्रसम्पन्न नहीं होता। 2. चरित्रसम्पन्न, जातिसम्पन्न न कोई पुरुष चरित्रसम्पन्न होता है, किन्तु जातिसम्पन्न नहीं होता। 3. जातिसम्पन्न भी, चरित्रसम्पन्न भी-कोई पुरुष जातिसम्पन्न भी होता है और चरित्र सम्पन्न भी होता है। 4. न जातिसम्पन्न, न चरित्रसम्पन्न--कोई पुरुष न जातिसम्पन्न होता है और न चरित्र सम्पन्न ही होता है (365) / ३९६-[चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–कुलसंपण्णे णाममेगे णो बलसंपण्णे, बलसंपण्णे णाममेगे जो कुलसंपण्णे, एगे कुलसंपण्णेवि बलसंपण्णेवि, एगे णो कुलसंपण्णे णो बलसंपण्णे।] पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कुलसम्पन्न, बलसम्पन्न न-कोई पुरुप कुलसम्पन्न होता है, किन्तु बलसम्पन्न नहीं होता। 2. बलसम्पन्न, कुलसम्पन्न न---कोई पुरुष बलसम्पन्न होता है, किन्तु कुलसम्पन्न नहीं होता। 3. कुलसम्पन्न भी, बलसम्पन्न भो—कोई पुरुप कुलसम्पन्न भी होता है और बलसम्पन्न भी होता है। 4. न कुलसम्पन्न, न बलसम्पन्न--कोई पुरुप न कुलसम्पन्न होता है और न बलसम्पन्न ही होता है (366) / ३६७--[चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–कुलसंपण्णे णाममेगे णो रूवसंपण्णे, रूवसंपण्णे णाममेगे णो कुलसंपण्णे, एगे कुलसंपण्णेवि स्वसंपण्णेवि, एगे णो कुलसंपण्णे णो रूवसंपण्णे।] पुनः पुरुप चार प्रकार के कहे गये हैं जैसे१. कुलसम्पन्न, रूपसम्पन्न न—कोई पुरुष कुलसम्पन्न होता है, किन्तु रूपसम्पन्न नहीं होता। 2. रूपसम्पन्न, कुलसम्पन्न न-कोई पुरुष रूपसम्पन्न होता है, किन्तु कुलसम्पन्न नहीं होता। 3. कुलसम्पन्न भी, रूपसम्पन्न भी-कोई पुरुष कुलसम्पन्न भी होता है और रूपसम्पन्न भी होता है। 4. न कुलसम्पन्न, न रूपसम्पन्न--कोई पुरुष न कुलसम्पन्न होता है और न रूपसम्पन्न ही होता है (367) / ३९८-[चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--कुलसंपण्णे णाममेगे णो सुयसंपणे, सुयसंपण्णे णा रमेगे णो कुलसंपण्ण, एगे कुलसंपण्णेवि सुयसंपण्णेवि, एगे णो कुलसंपण्णे णो सुयसंपण्णे।] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org