________________ चतुर्थ स्थान--प्रथम उद्देश [ 221 2. अहणोववणे णेरइए णिरयलोगसि णिरयपालेहि भुज्जो-भुज्जो अहिद्विज्जमाणे इच्छेज्जा माणुसं लोग हव्वमागच्छित्तए, जो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए / 3. प्रहुणोववणे णेरइए णिरयवेयणिज्जंसि कम्मंसि अक्खीणसि अवेइयंसि अणिज्जिण्णसि इच्छेज्जा माणुसं लोग हव्वमागच्छित्तए, जो चेव णं संचाएति हन्धमागच्छित्तए। 4. [अहणोववण्णे णेरइए णिरयाउअंसि कम्मंसि जाव अक्खीणसि जाव अवेइयंसि अणिज्जिणंसि इच्छेज्जा माणुसं लोग हव्वमागच्छित्तए] णो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए। इच्चेतेहि चहि ठाणेहि अहुणोववणे णेरइए [णिरयलोगंसि इच्छेज्जा माणुसंलोगं हवमा. गच्छित्तए] णो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए। नरकलोक में तत्काल उत्पन्न हुआ नैरयिक चार कारणों से शीघ्र ही मनुष्यलोक में आने की इच्छा करता है, किन्तु या नहीं सकता 1. तत्काल उत्पन्न नैरयिक नरकलोक में होने वाली वेदना का वेदन करता हुआ शीघ्र ही मनुष्यलोक में आने की इच्छा करता है, किन्तु आ नहीं सकता। 2. तत्काल उत्पन्न नैरयिक नरकलोक में नरक-पालों के द्वारा समाक्रांत-पीडित होता हा शीघ्र ही मनुष्यलोक में आने की इच्छा करता है, किन्तु पा नहीं सकता। 3. तत्काल उत्पन्न नैरयिक शीघ्र ही मनुष्यलोक में आने की इच्छा करता है, किन्तु नरकलोक में वेदन करने योग्य कर्मों के क्षीण हुए विना, उनको भोगे विना, उनके निर्जीर्ण हुए विना आ नहीं सकता। 4. तत्काल उत्पन्न नैरयिक शीघ्र ही मनुष्यलोक में आने की इच्छा करता है, किन्तु नारकायुकर्म के क्षीण हुए विना, उसको भोगे विना, उसके निर्जीण हुए विना आ नहीं सकता। _इन उक्त चार कारणों से नरकलोक में तत्काल उत्पन्न नै रयिक शीघ्र मनुष्यलोक में आने की इच्छा करता है, किन्तु या नहीं सकता (58) / संघाटी-सूत्र ५६-कप्पंति णिग्गंथोणं चत्तारि संघाडीग्रो धारितए वा परिहरित्तए बा, तं जहा-एग दुहत्यवित्थारं, दो तिहत्थवित्थारा, एगं च उहत्थविस्था / निर्ग्रन्थी साध्वियों को चार संघाटियां (साड़ियां) रखने और पहिनने के लिए कल्पती हैं१. दो हाथ विस्तारवाली एक संघाटी-जो उपाश्रय में प्रोढ़ने के काम आती है। 2. तीन हाथ विस्तारवाली दो संघाटी—उनमें से एक भिक्षा लेने को जाते समय ओढ़ने के लिए। 3. दूसरी शौच जाते समय प्रोढ़ने के लिए। 4. चार हाथ विस्तारवाली एक संघाटी-व्याख्यान-परिषद् में जाते समय ओढ़ने के लिए (56) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org