________________ चतुर्थ स्थान-द्वितीय उद्देश ] [ 265 3. अनार्य और आर्यजाति--कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्यजाति (मातृपक्ष) वाला होता है। 4. अनार्य और अनार्यजाति--कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्यजाति (मातृपक्ष) वाला होता है (222) / २२३-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तजहा-अज्जे णाममेगे अज्जभासी, अज्जे णाममेगे अणज्जभासी, अणज्जे णाममेगे अज्जभासी, अणज्जे गाममेगे अणज्जभासी। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे-- 1. आर्य और आर्यभाषी--कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्यभाषा बोलनेवाला होता है। 2. आर्य और अनार्यभाषी---कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्यभाषा बोलनेवाला होता है। 3. अनार्य और आर्यभाषी-कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्यभाषा बोलनेवाला होता है। 4. अनार्य और अनार्यभाषी-कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्यभाषा बोलनेवाला होता है (223) / २२४---चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-अज्जे णाममेगे अज्जनोभासी, अज्जे णाममेगे प्रणज्जनोंभासी, अणज्जे णाममेगे अज्जनोभासी, अणज्जे गाममेगे अणज्जनोभासी। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. आर्य और आर्यावभासी-कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्य के समान दिखता है। 2. आर्य और अनार्यावभासी-कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्य के समान दिखता है। 3. अनार्य और आर्यावभासी-कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य के समान दिखता है। 4. अनार्य और अनार्यावभासी- कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य के समान दिखता है (224) / २२५--चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, त जहा- अज्जे णाममेगे अज्जसेवी, अज्जे णाममेगे अणज्जसेवी, अणज्जे णाममेगे प्रज्जसेवी, अणज्जे गाममेगे अणज्जसेवी। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. आर्य और आर्यसेवी-कोई पुरुष जाति से प्रार्य और आर्यपुरुष की सेवा करता है / 2. आर्य और अनार्यसेवी - कोई पुरुष जाति से प्रार्य, किन्तु अनार्यपुरुष की सेवा करता है / 3. अनार्य और प्रार्यसेवी-कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्यपुरुष की सेवा करता है / 4. अनार्य और अनार्यसेवी--कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य पुरुष की सेवा करता है (225) / २२६-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-प्रज्जे णाममेगे अज्जपरियाए, अज्जे गाममेगे अणज्जपरियाए, अणज्जे णाममेगे अज्जपरियाए, अणज्जे णाममेगे अणज्जपरियाए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org