________________ चतुर्थ स्थान-द्वितीय उद्देश ] [ 263 4. अनार्य और अनार्यसंकल्प--कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य-संकल्पवाला होता है (215) / २१६-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-अज्जे णाममेगे अज्जपण्णे, अज्जे णाममेगे अणज्जपण्णे, अणज्जे णाममेगे अज्जपण्णे, अणज्जे णाममेगे अणज्जपण्णे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे-- 1. आर्य और आर्यप्रज्ञ--कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्यप्रज्ञावाला होता है। 2. आर्य और अनार्यप्रज्ञ--कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्यप्रज्ञावाला होता है। 3. अनार्य और आर्यप्रज्ञ--कोई पुरुष जाति से अनार्य. किन्त आर्यप्रज्ञावाला होता है। 4. अनार्य और अनार्यप्रज्ञ--कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्यप्रज्ञावाला होता है (216) / २१७-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–अज्जे णाममेगे अज्जदिट्टी, अज्जे णाममेगे अणज्जदिट्ठी, अणज्जे णाममेगे अज्जदिट्ठी, अणज्जे णाममेगे अणज्जदिट्ठी। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे-- 1. आर्य और आर्यदृष्टि--कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्यदृष्टिवाला होता है। 2. आर्य और अनार्यदृष्टि--कोई पुरुष जाति से प्रार्य, किन्तु अनार्यदृष्टिवाला होता है। 3. अनार्य और प्रार्यदृष्टि--कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु प्रार्यदृष्टिवाला होता है। 4. अनार्य और अनार्यदृष्टि-कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्यदृष्टिवाला होता है। (217) / २१८-चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं जहा-अज्जे णाममेगे अज्जसीलाचारे, अज्जे णाममेगे अणज्जसीलाचारे, अणज्जे णाममेगे अज्जसोलाचारे, अणज्जे णाममेगे अणज्जसीलाचारे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे१. आर्य और आर्यशीलाचार -कोई पुरुष जाति से आर्य और आर्य शील-याचारवाला होता है। 2. आर्य और अनार्यशीलाचार-कोई पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्यशील-आचार __वाला होता है। 3. अनार्य और आर्यशीलाचार--कोई पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्यशील-प्राचार वाला होता है। 4. अनार्य और अनार्यशीलाचार-कोई पुरुष जाति से अनार्य और अनार्यशील-आचार __ वाला होता है (218) / २१६-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–अज्जे णाममेगे अज्जववहारे, अज्जे णाममेगे अणज्जववहारे, अणज्जे णाममेगे अज्जववहारे, अणज्जे णाममेगे अणज्जववहारे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं, जैसे-- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org