________________ चतुर्थ स्थान–प्रथम उद्देश ]] 215 ४१-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-सच्चे णाम एगे सच्चदिट्ठी, सच्चे णाम एगे असच्चदिट्ठी, असच्चे णाम एगे सच्चदिट्ठी, असच्चे णामं एगे असच्चदिट्टी। पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष सत्य और सत्य दृष्टि वाला होता है। 2. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य दृष्टि वाला होता है। 3. कोई पुरुष असत्य,किन्तु सत्य दृष्टि वाला होता है। 4. कोई पुरुष असत्य और असत्य दृष्टिवाला होता है (41) / ४२--चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, त जहा–सच्चे णामं एगे सच्चसीलाचारे, सच्चे णाम एगे असच्चसीलाचारे, असच्चे णामं एगे सच्चसीलाचारे, असच्चे णामं एगे असच्चसीलाचारे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं / जैसे१. कोई पुरुष सत्य और सत्य शील-प्राचार वाला होता है। . 2. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य शील-प्राचार वाला होता है। 3. कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य शील-प्राचार वाला होता है। 4. कोई पुरुष असत्य और असत्य शील-प्राचार वाला होता है (42) / ४३-चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, त जहा-सच्चे णामं एगे सच्चववहारे, सच्चे णाम एगे असच्चववहारे, प्रसच्चे णामं एगे सच्चववहारे, असच्चे णामं एगे असच्चववहारे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष सत्य और सत्य व्यवहार वाला होता है। 2. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य व्यवहार वाला होता है / 3. कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य व्यवहार वाला होता है / 4. कोई पुरुष असत्य और असत्य व्यवहार वाला होता है (43) / ४४-चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सच्चे णामं एगे सच्चपरक्कमे, सच्चे णामं एगे असच्चपरक्कमे, असच्चे णामं एगे सच्चपरकक्मे, असच्चे णामं एगे असच्चपरक्कमे / पुनः पुरुष चार प्रकार के कहे गये हैं। जैसे१. कोई पुरुष सत्य और सत्य पराक्रम वाला होता है / 2. कोई पुरुष सत्य, किन्तु असत्य पराक्रम वाला होता है / 3. कोई पुरुष असत्य, किन्तु सत्य पराक्रम वाला होता है / 4. कोई पुरुष असत्य और असत्य पराक्रम वाला होता है (44) / शुचि-अशुचि-सूत्र ४५–चत्तारि वत्था पण्णता, तजहा- सुई णाम एगे सुई, सुई णामं एगे असुई, चउभंगो 4 / [असुई णाम एगे सुई, असुई णाम एगे असुई] / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org