________________ तृतीय स्थान--द्वितीय उद्देश ] | 136 'शब्द सुन करके' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'शब्द सुन करके' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (285) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं- कोई पुरुष 'शब्द सुनता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है / कोई पुरुष 'शब्द सुनता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'शब्द सुनता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (286) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'शब्द सुन गा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'शब्द सुनगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष ‘शब्द सुनू गा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (287) / ) २८८--[तओ पुरिसजाया पण्णता, तं जहा–सई असणेत्ता णामेगे सुमणे भवति, सदं असणेता णामेगे दुम्मणे भवति, सई असणेत्ता णामेगे जोसमणे-मोदम्मणे भवति / २८६-तम्रो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सदं ग सुणामीतेगे सुमणे भवति, सदं ण सुणामीतेगे दुम्मणे भवति, सदं ण सुणामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २६०–तो पुरिसजाया पणत्ता, तं जहा–सई ण सुणिसामीतेगे समणे भवति, सई ण सुणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, सई ण सुणिस्सामीतेगे-णोसुमणे णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुन करके' सुमनस्क होता है / कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुन करके' दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुन करके' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (288) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'शब्द सुनता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है / कोई पुरुष 'शब्द सुनता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष 'शब्द सुनता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्भनस्क होता है (286) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं---कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुन गा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुन गा' इसलिए दुर्मनस्क होता है और कोई पुरुष 'शब्द नहीं सुन गा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (260) / ] २६१-[तओ पुरिसजाया पणत्ता, तं जहा-रूवं पासित्ता णामेगे सुमणे भवति, रूवं पासित्ता जामगे दुम्मणे भवति, रूवं पासित्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २६२–तओ पुरिसजाया पण्णता, तं जहा–रूवं पासामीतेगे सुमणे भवति, रूवं पासामीतेगे दुम्मणे भवति, रूवं पासामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / 263 - तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--रूवं पासिस्सामीतेगे सुमणे भवति, रूवं पासिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, रूवं पासिस्सामीतेगे जोसुनणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'रूप देखकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'रूप देखकर' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'रूप देखकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (261) / पुन: पुरुष तीन प्रकार के होते हैं—कोई पुरुष 'रूप देखता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है / कोई पुरुष 'रूप देखता हूं इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष रूप देखता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (262) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के होते हैंकोई पुरुष 'रूप देखूगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'रूप देखूगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष ‘रूप देखू गा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (263) / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org