________________ तृतीय स्थान-द्वितीय उद्देश्य ] [131 इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'छेदन नहीं करता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'छेदन नहीं करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (223) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'नहीं छेदन करूंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं छेदन करूंगा' इसलिए दुर्भनस्क होता है। तथा कोई पुरुष नहीं छेदन करूगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (224) / ] 225 - [तो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-बूइत्ता णामेणे सुमणे भवति, बूइत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, बूइत्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २२६–तो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहाबेमीतेगे समणे भवति, बेमीतेगे दुम्मणे भवति, बेमीतेगे जोसुमणे-णोदम्मणे भवति / २२७–तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा—वोच्छामीतेगे सुमणे भवति, वोच्छामीतेगे दुम्मणे भवति, वोच्छामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'बोलकर' समनस्क होता है। कोई पुरुष 'बोलकर' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'बोलकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (225) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'मैं बोलता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'मैं बोलता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'मैं बोलता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (226) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'बोलू गा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'बोलूगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है / तथा कोई पुरुष 'बोलूगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (227) / ] २२८-[तम्रो पुरिसजाया पण्णता, त जहा--अबूइत्ता णामेगे सुमणे भवति, अबूइत्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अबूइत्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २२६-तो पुरिसजाया पणत्ता, त जहा–ण बेमीतेगे सुमणे भवति, ण बेमीतेगे दुम्मणे भवति, ण बेमीतेगे जोसमणे-णोदुम्मणे भवति / 230- तो पुरिसजाया पण्णता, त जहा–ण वोच्छामोतेगे सुमणे भवति, ण वोच्छामीतेगे दुम्मणे भवति, ण बोच्छामीतेगे णोंसुमणे-णों-दुम्मणे भवति / [पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष नहीं बोलकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं बोलकर' दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष नहीं बोलकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (228) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं- कोई पुरुष नहीं बोलता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं बोलता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'नहींबोलता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (226) / पुन: पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष नहीं बोलूगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष नहीं बोलूगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'नहीं बोलू गा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (230) / २३१-[तो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा-भासित्ता णामेगे सुमणे भवति, भासित्ता जामगे दुम्मणे भवति, भासित्ता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / २३२-तो पुरिसजाया पण्णत्ता, त जहा–मासामीतेगे सुमणे भवति, भासामीतेगे दुम्मणे भवति, भासामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org