________________ 126] [ स्थानाङ्गसूत्र थेरभूमि-सूत्र १८७-तमो थेरभूमीप्रो पण्णताम्रो, तं जहा-जातिथेरे, सुयथेरे, परियायथेरे / सद्विवासजाए समणे जिग्गंथे जातिथेरे, ठाणसमवायधरे णं समणे णिगंथे सुयथेरे, वीसवासपरियाए णं समणे णिग्गंथे परियायथेरे। तीन स्थविरभूमियां कही गई हैं-जातिस्थविर, श्रु तस्थविर और पर्यायस्थविर / साठ वर्ष का श्रमण निर्ग्रन्थ जातिस्थविर (जन्म की अपेक्षा) है। स्थानाङ्ग और समवायाङ्ग का ज्ञाता श्रमण निर्ग्रन्थ श्रु तस्थविर है और बीस वर्ष की दीक्षपर्यायवाला श्रमण निर्ग्रन्थ पर्यायस्थविर है। सुमन-दुर्मनादिसूत्र : विभिन्न अपेक्षाओं से १८८-तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुमणे, दुम्मणे, जोसुमणे-णोदुम्मणे / १८६-तपो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--गंता णामेगे सुमणे भवति, गंता णामेगे दुम्मणे भवति, गंता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। १९०-तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-जामीतेगे सुमणे भवति, जामीतेगे दुम्मणे भवति, जामीतेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / १६१–एवं [तमो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–] जाइस्सामीतेगे सुमणे भवति, [जाइस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, जाइस्सामीतेगे णोसुमणे-गोदुम्मणे भवति / १६२–तम्रो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–अगंता णामेगे सुमणे भवति, [अगंता णामेगे दुम्मणे भवति, प्रगंता णामेगे जोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / १६३–तो पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा--- जामि एगे सुमणे भवति, [ण जामि एगे दुम्मणे भवति, ण जामि एगे जोसुमणेणोदुम्मणे भवति / १९४-तओ पुरिसजाया पण्णता, तं जहा—ण जाइस्सामि एगे सुमणे भवति, एवं [ण जाइस्मामि एगे दुम्मणे भवति, ण जाइस्सामि एगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति / पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-सुमनस्क (मानसिक हर्ष वाले), दुर्मनस्क (मानसिक विषादवाले) और नो-सुमनस्क-नोदुर्मनस्क (न हर्ष वाले, न विषादवाले, किन्तु मध्यस्थ) (188) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष (कहीं बाहर) जाकर सुमनस्क होता है। कोई पुरुष जाकर दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष जाकर न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है। (186) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं- कोई पुरुष 'मैं जाता हूं इसलिए--ऐसा विचार करके सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'मैं जाता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'मैं जाता हूं इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (160) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं-कोई पुरुष 'मैं जाऊंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'मैं जाऊंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'मैं जाऊंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (161) / [पुन: पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं--कोई पुरुष 'न जाने' पर सुमनस्क होता है। कोई परुष 'न जाने पर दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'न जाने पर' न सुमनस्क और न दुर्मनस्क होता है (192) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के होते हैं---कोई पुरुष नहीं जाता हूं इसलिए सुमनस्क होता है / कोई पुरुष 'नहीं जाता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष 'नहीं जाता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (193) / पुनः पुरुष तीन प्रकार के होते हैं--'नहीं जाऊंगा' इसलिए सुमनस्क होता है / कोई पुरुष 'नहीं जाऊंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है। तथा कोई पुरुष नहीं जाऊंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (164) / ] होता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org