Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
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अध्यात्मसार : 2
है, संयम एवं धर्मरक्षा हेतु प्रार्थना करता है, तब प्रभु स्वयं तो नहीं आते, लेकिन रक्षक देव उसे सहयोग देते हैं 1
जैसे लोगस्स को पढ़ने से सम्यक्तव में स्थिरता आती है तो वह इस प्रकार आती है - 1. जब कोई लोगस्स पढ़ता है तब उसके शरीर और मन से ऐसी तरंगे उठती हैं जो उसे देव, गुरु एवं धर्म में अधिष्ठित करती है चाहे वह व्यक्ति लोगस्स का अर्थ भी न जानता हो फिर भी शुद्ध उच्चारण मात्र से यह बात घटित होती है, 2. साथ में जो अधिष्ठित रक्षक देव हैं, वे उस व्यक्ति के अध्यवसायों पर प्रभाव डालकर उसे सम्यक्त्व में दृढ़ करते हैं।
जिस क्षेत्र में अरिहंत देव विचरते हैं, वहाँ का वातावरण कैसे शुद्ध हो जाता है ?
अरिहंत देव के शुद्ध पुद्गलों द्वारा, अरिहंत देव की सेवा में रहे देव उस क्षेत्र में रहे हुए अशुभ पुद्गलों का हरण करके शुभ पुद्गलों का प्रक्षेपण करते हैं।
निश्चय में अरिहंत - देव की सेवा भक्ति करने से सभी की सेवा भक्ति हो जाती है और व्यवहार से जिसका सहयोग लेना हो, आह्वान करना हो, अरिहंत - देव के साथ-साथ उन्हें भी याद करना उनकी भी सेवा - भक्ति करनी चाहिए ।
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