Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti

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Page 1012
________________ पारिभाषिक शब्दकोश 923 मध्यस्थ भाव-तटस्थ भाव या वृत्ति । मनः पर्यायज्ञान - मन और इन्द्रियों की सहायता के बिना सन्नी ( मन वाले ) पंचेन्द्रिय जीवों के मनोगत भावों को जानना । मल्लि - वर्तमान कालचक्र के 19 वें तीर्थंकर का नाम । 24 तीर्थंकरों में यह एक ही ऐसे तीर्थंकर हुए हैं, जो स्त्री-लिंग में थे । महा-परिज्ञा - विशिष्ट ज्ञान । महायान - उत्कृष्ट चारित्र, मोक्षमार्ग । मार- कामदेव, संसार । मिथ्यादर्शन - अज्ञानी व्यक्तियों द्वारा प्ररूपित उपदेश या गलत समझ, गलत दृष्टि । मुमुक्षु - मोक्ष प्राप्ति की अभिलाषा रखने या मुक्ति के साधना-पथ पर चलने वाला साधक । मुहम्मद - मुसलमानों के एक पैगम्बर ( धार्मिक नेता ) । मूल-बीज - जिस वनस्पति के मूल में बीज है । मूलस्थान - कर्मबन्ध या संसार के मूल का कारण । मेघकुमार मुनि - राजगृही के महाराज श्रेणिक का पुत्र और भगवान महावीर का शिष्य । मैथुन - संज्ञा - स्त्री-पुरुष-संयोग की कामना का उदित होना । मोहनीय कर्म - आत्मा की शुद्ध - श्रद्धा एवं त्याग भावना को आवृत करने वाला कर्म । मोह संज्ञा-विषय-वासना एवं कषायों में आसक्त रहना । भंग - विकल्प | 1. भक्त प्रत्याख्यान - मृत्यु को निकट जानकर जीवन पर्यन्त के लिए अनशन व्रत स्वीकार करना । भगवती सूत्र - भगवान महावीर द्वारा उपदिष्ट पांचावां अंग - शास्त्र । इसे विवाह पति भी कहते हैं ।

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