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पारिभाषिक शब्दकोश
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मध्यस्थ भाव-तटस्थ भाव या वृत्ति ।
मनः पर्यायज्ञान - मन और इन्द्रियों की सहायता के बिना सन्नी ( मन वाले ) पंचेन्द्रिय जीवों के मनोगत भावों को जानना ।
मल्लि - वर्तमान कालचक्र के 19 वें तीर्थंकर का नाम । 24 तीर्थंकरों में यह एक ही ऐसे तीर्थंकर हुए हैं, जो स्त्री-लिंग में थे ।
महा-परिज्ञा - विशिष्ट ज्ञान ।
महायान - उत्कृष्ट चारित्र, मोक्षमार्ग ।
मार- कामदेव, संसार ।
मिथ्यादर्शन - अज्ञानी व्यक्तियों द्वारा प्ररूपित उपदेश या गलत समझ, गलत दृष्टि ।
मुमुक्षु - मोक्ष प्राप्ति की अभिलाषा रखने या मुक्ति के साधना-पथ पर चलने वाला साधक ।
मुहम्मद - मुसलमानों के एक पैगम्बर ( धार्मिक नेता ) ।
मूल-बीज - जिस वनस्पति के मूल में बीज है ।
मूलस्थान - कर्मबन्ध या संसार के मूल का कारण ।
मेघकुमार मुनि - राजगृही के महाराज श्रेणिक का पुत्र और भगवान महावीर का शिष्य ।
मैथुन - संज्ञा - स्त्री-पुरुष-संयोग की कामना का उदित होना ।
मोहनीय कर्म - आत्मा की शुद्ध - श्रद्धा एवं त्याग भावना को आवृत करने वाला कर्म ।
मोह संज्ञा-विषय-वासना एवं कषायों में आसक्त रहना ।
भंग - विकल्प |
1. भक्त प्रत्याख्यान - मृत्यु को निकट जानकर जीवन पर्यन्त के लिए अनशन व्रत स्वीकार करना ।
भगवती सूत्र - भगवान महावीर द्वारा उपदिष्ट पांचावां अंग - शास्त्र । इसे विवाह पति भी कहते हैं ।