Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
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श्री आचाराङ्ग सूत्र, प्रथम श्रुतस्कंध
समाचारी- हमारी समाचारी तो वही है जो श्री आचारांग - सूत्र में बतायी गयी । अन्य जो समाचारी बनाई जाती हैं वह व्यवस्था रूप है।
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'काले कालं समायरे'' - का अर्थ है दिवस या रात्रि के जिस काल में जो करना जरूरी है, उसका सम्यक् प्रकार से आचरण करना । जैसे- प्रथम एवं चतुर्थ पहर में स्वाध्याय, दूसरे पहर में ध्यान इत्यादि । हमारी समाचारी तो वही है जो पहले थी । यदि हम उसका पालन नहीं कर पाते हैं तो वह हमारी कमजोरी है, लेकिन उसके लिए समाचारी बदलना आवश्यक नहीं है । इससे भगवान की अवज्ञा होती है।
'काले कालं समायरे' का एक अर्थ यह भी होता है कि मुनि कालज्ञ होता है । अपने मूल उद्देश्य को सामने रखते हुए उसे सिद्ध करने हेतु आचरण करता है।
श्वेताम्बर - दिगम्बर सम्प्रदायों में ब्रह्मचर्य - मर्यादा
श्वेताम्बर और दिगम्बरों में ब्रह्मचर्य की मर्यादा के संबंध में एक भिन्नता है । दिगम्बरों में कार्य विशेष पर स्त्री का स्पर्श होता है । श्वेताम्बरों में वह भी निषेध है । ऐसे तो ब्रह्मचर्य की मर्यादा है कि स्पर्श नहीं होना चाहिए, क्योंकि स्पर्श के द्वारा भीतर की प्राण ऊर्जा का संक्रमण होता है। जैसे दूर से आशीर्वाद देने एवं स्पर्शपूर्वक आशीर्वाद देने में फर्क होता है । लेकिन इस मर्यादा की अति इस प्रकार हो गयी कि बहुत लम्बा कपड़ा बिछाया हुआ और दूर किसी स्त्री का स्पर्श हो और साधुजी उस वस्त्र पर विराजमान हों या स्पर्श हो रहा हो तो इतने लम्बे वस्त्र से भी साधुजी स्त्री का संघट्टा मानते हैं। इस प्रकार हमने मर्यादा को बहुत खींच लिया, इससे हमारे मन में इस प्रकार की विक्षिप्तता आ गयी कि हमारा ध्यान उसी ओर रहता है।
प्रत्येक मर्यादा की अपनी उपयोगिता होती है । जैसे दृष्टि मिलाकर बात करने से रसचलित होता है, जैसे- स्पर्श करने पर, ऊर्जा का संक्रमण एवं रसचलित दोनों होता है। इस प्रकार मर्यादा के रूप में इस बात को देखें तो एक ही वस्त्र पर या ऐसे ही साढ़े तीन हाथ की दूरी पर हो तो स्त्री के स्पर्श का दोष नहीं लगता, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का साढ़े तीन हाथ का अपना क्षेत्र होता है जिसे 'अवग्रह' भी कहते हैं । दो व्यक्तियों के क्षेत्र मिलने पर पारस्परिक भावना एवं विचारों का प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता है | यह भी खास करके जब अनेक स्त्रियाँ एक साथ बैठी हों, तब