Book Title: Acharang Sutram Part 01
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
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द्वितीय अध्ययन, उद्देशक 5
381 • सामासाए पायरासाए, संनिहि संनिचओ कज्जइ, इहमेगेसिं माणवाणं भोयणाए॥870
छाया-यदिदं विरूपरूपैः शस्त्रैः लोकस्य (लोकाय) कर्म समारम्भाः क्रियन्ते तद्यथा आत्मने तस्य पुत्रेभ्यः दुहित्तृभ्यः स्नुषाभ्यः ज्ञातिभ्यः धातृभ्यः राजभ्यः दासेभ्यः दासीभ्यः कर्मकरेभ्यः कर्मकरीभ्यः आदेशाय पृथक् प्रहेणकाय श्यामाशाय, प्रातराशाय संनिधिः संनिचयः क्रियते इहैकेषाँ मानवानां भोजनाय। ____ पदार्थ-विरूवरूवेहि-विभिन्न प्रकार के। सत्थेहि-शस्त्रों से। जमिणं कम्भसमारंभा-ये पचन-पाचनादि कर्म समारंभ। लोगस्स कन्जंति-लोगों के लिए किए जाते हैं। तंजहा-जैसे कि। अप्पणो से-अपने लिए। पुत्ताणं-पुत्रों के लिए। धूयाणं-पुत्रियों के लिए। सुण्हाणं-पुत्रवधुओं के लिए। नाईणं-जाति भाइयों के लिए। धाईणं-धाय माताओं के लिए। राईणं-राजाओं के लिए। दासाणं-दासों के लिए। दासीणं-दासियों के लिए। कम्मकराणं-कर्मचारियों के लिए। कम्मकरीणं-कर्मचारिणियों के लिए। आएसाए-अतिथियों-पाहुनों के लिए। पुढोपहेणाए-पुत्रादि में पृथक्-पृथक् बांटने के लिए। सामासाए-सायंकालीन भोजन के लिए। पायरासाए-प्रातःकालीन भोजन के लिए। संनिधि-विनाशशील एवं संनिचय-चिरस्थायी द्रव्यों का संग्रह। कज्जइ-किया जाता है। इहं-इस संसार में। एगेसिंमाणवाणं-किन्हीं मनुष्यों को। भोयणाए-भोजन कराने के लिए। संनिहि संनिचओ कज्जइ-द्रव्य का संग्रह किया जाता है। _____ मूलार्थ-विभिन्न शस्त्रों से पचन-पाचनादि कर्म समारंभ किए जाते हैं। जैसे कि अपने लिए एवं पुत्र-पुत्रियों, पुत्रवधुओं, जाति भाइयों, धाय माताओं, राजाओं, दास-दासियों, कर्मचारी कर्मचारिणियों तथा अतिथियों को सायंकालीन एवं प्रातःकालीन भोजन कराने के लिए या किन्हीं मनुष्यों को भोजन कराने के लिए द्रव्य एवं घृत, चीनी, अन्न आदि पदार्थों का संग्रह किया जाता है। हिन्दी-विवेचन
मनुष्य कर्म समारंभ में क्यों प्रवृत्त होता है? इसके अनेक कारणों को सूत्रकार ने स्पष्ट कर दिया है। विशेष ध्यान देने की बात यह है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी