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बक्तृत्वकला के बीज
एक बैलगाडी में वजन भरा गया। लगभग ५० मन वजन अवश्य होगा । योगीजी ने बैलगाड़ी में रस्सी बांधकर उसके छोर को अपने सिर के बालों से बाँध लिया । उस गाड़ी को वह काफी दूर तक अपने बालों स ही खींचते रहे।
दो कार इधर-उधर खड़ी की गई। दोनों के पीछे दो रस्से बाँध दिये गये 1 दोनों रस्सों को उन्होंने पकड़ लिया । ड्राइवरों के अथक प्रयत्न करने पर भी कारें जरा मा हिल सकी।
३०० मन बजन से भरे हुए एक ट्रक को उन्होंने छाती पर बढ़ा लिया और उचक-उचक कर उसे हिलाते रहे।
--विचित्रा वर्ष ३, अंक ४, १६७१
६. कुभक-प्राणायाम के विशिष्ट अभ्यासी प्रो. राममूति
ये इतने बलिष्ठ थे कि ४०-४० मन के पत्थर को छाती पर रखवाकर तुड़वा देते थे, मनुष्यों से भरी हुई गाई। छाती पर से निकलवा देते थे, छाती पर हाथी को खड़ा कर लेते थे, बड़ी-बड़ी मजबूत लोहे की जंजीरें हाथों मे या गल में लपेट कर तोड़ डालत थे एवं १६ हार्स पावरवाली दो-दो मोटरों को रोक लेते थे। इतना कुछ करने पर भी इनके शरीर पर कहीं निशान तक नहीं पड़ता था।