Book Title: Vaktritva Kala ke Bij
Author(s): Dhanmuni
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 814
________________ छठा भाग चौथा कोष्टक २७५ शब्दादि एक-एक इन्द्रियों के विषयों से बंधे हुए मृग, हाथी, पतंग, मछली और भ्रमर मृत्यु को प्राप्त होते हैं। तो फिर इन पाँचों से जकड़ा हुआ मनुष्य कैसे बच सकता है ? ४. एक सदन में पाँच का पृथक-पृथक आदेश | सम्भव चन्दन ! क्यों नहीं होना क्लेश विशेष ॥ P ५. 1 दोहा- डिली - कोटलीय अर्थशर इन्द्रियों के विषयों में बासक्त व्यक्ति चतुरंगवान् होता हुआ मी नष्ट हो जाता है । xx

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