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• बेवतां देवतां भांख्यां में धूड़ नाख दे ।
बेच र जगात को भरे तो ।
• रोटी खासी शक्कर स्यूं दुनियां उगरणी मक्कर स्यूं ।
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वक्तृत्वकला के बीज
- राजस्थानी कहावतें
• ठाठ तिलक और पुरी बावाज की यही निशानी। •● ओछी गर्दन दगाबाज |
आंख का अन्धा गांठ का पूरा । उंगली पकड़ते पहुंचा पकड़ा ।
-हिन्दी कहावतें
४. नराणां नापितो धूर्तः पक्षिरणां चैव वायसः ॥
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चतुष्पदां शृगालस्तु, स्त्रीणां धूर्ता च मालिनी ॥
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५. बिल्ली गुरु बगलो कियो, वरण ऊजलो देख | पार किसी विध उतरे, दोनां री गति एक ।
चाणक्यनीति ५२१
पुरुषों में नाई, पक्षियों में काग, पशुओं में गीदड़ और स्त्रियों में मालिनये तं माने जाते हैं ।
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