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छठा भाग चौथा कोष्टक
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शब्दादि एक-एक इन्द्रियों के विषयों से बंधे हुए मृग, हाथी, पतंग, मछली और भ्रमर मृत्यु को प्राप्त होते हैं। तो फिर इन पाँचों से जकड़ा हुआ मनुष्य कैसे बच सकता है ?
४. एक सदन में पाँच का पृथक-पृथक आदेश | सम्भव चन्दन ! क्यों नहीं होना क्लेश विशेष ॥
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दोहा- डिली
- कोटलीय अर्थशर
इन्द्रियों के विषयों में बासक्त व्यक्ति चतुरंगवान् होता हुआ मी नष्ट हो जाता है ।
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