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मनुष्य का महत्त्व १. गुह्य ब्रह्म तदिदं वो ब्रवीमि । न मानुषाच्छ,ष्टनरं हि किचित् ॥
-महाभारत शान्तिपर्व २६६।२० तुम लोगों को मैं एक बहुत गुप्त बात बता रहा हूँ, मुनो ! मनुष्य
से बढ़कर और कुछ भी पर नहीं है। २. पुरुषो वे प्रजापतेः ने दिष्टम् । -शतपथब्राह्मण २।५।१११
सब प्राणियों में मनुष्य गृष्टिकर्ता परमेश्वर के अत्यन्त समाप है । ३. बुद्धिमस्तु नराः श्रेष्ठाः ।
-मनुस्मृति ॥६६ बुद्धिमानों में मध्य सबरा अफठ है। ४. नरो वे देवानां ग्रामः ।।
-तैसिरीय ताराज्यमहामायण ६६२ मनुष्य देवों का ग्राम है अर्थात् निवासस्थान है। ५. मुसलमानों के 'हदीमा' में अल्ला ने फाननों से कहा है
कि तुम इन्सान को मेवा करो। ६. गधे, घोड़े, गाय, भैंस आदि पशू नहीं समझते कि यह राज
महल है या राकुर जी का मन्दिर है अथवा जौहरीबाजार है, यहाँ मल-मूत्र का त्याग नहीं किया जाता जबकि