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वक्तृत्वकला के बीज
सुनार
बोला- अरे भाई ! यह सब मानवीय मस्तिष्क का प्रभाव है अतः बड़ा तो मानव ही है ।
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१३ मनुष्य के पीछे संसार
कागज पर एक तरफ संसार का चित्र था और दूसरी तरफ मनुष्य का । पिता ने फाड़कर उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिए। फिर अपने छोटे पुत्र से उजाड़ने के लिए कहा। बच्चे ने संसार का चित्र जोड़ने का काफी यत्न किया, किन्तु जुड़ नहीं सका। तब दूसरी तरफ मनुष्य का चित्र देखा । ज्योंही उसे जोड़ा, संसार भी जुड़ गया वास्तव में संसार मनुष्य के पीछे ही है ।
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१४. मनुष्य से विधाता भी चकित
कहते हैं कि भाग्यफल सुनाकर विधाता ब्रह्मलोक से ३२ मनुष्य मनष्य लोक में भेज चुके थे। तैंतीसवें का भाग्यफल इस प्रकार सुनाया जा रहा था --यह पनीखानदान में जन्म लेकर सब तरह से मुखी होगा । पन्द्रह वर्ष की आयु में दुर्घटनावश गूंगा बहरा होगा, माँ बाप मर जायेंगे, धन नष्ट हो जायगा. फिर भिखारी के रूप में भटकता - भटकता अंधा एवं कोढ़ी भी बन जायगा. ऐसे पुरे सौ वर्ष तक दुःखमय जीवन व्यतीत करेगा | बीच ही में मनुष्य बोल उठा-क्या सौ वर्ष ? बस, इतना कहने के साथ ही वह चीखता हुआ गिर पड़ा और मरगया ।
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