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१. आठ प्रकार के गुणअष्ट गुणाः पुरुषं दीपयन्ति, प्रज्ञा च कौल्यं दमः श्र ुतं च ।
पराक्रमश्चावहुभाषिता त्र,
विभिन्न प्रकार के गुण
दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च ॥
(१) बुद्धि, (२) कुलीनता (३) इन्द्रियसंयम, (६) मितभाषण, (७) यथाशक्ति दान मनुष्य की शोभा को बढ़ानेवाले हैं ।
(८)
- विदुरनीति १।१०४
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(४) ज्ञान (५) शूरता, कुनज्ञता – ये आठ गुण
२. चार सहजगुण
दातृत्वं
प्रियवक्तत्वं. धीरत्वमुचितज्ञता । अभ्यासेन न लभ्यन्ते, चत्वारः सहजा गुणाः ॥
चाणक्यनीति ११ १
उदारता, मिष्टवादिता, धीरता और उचित की जानकारी — ये चार गुण स्वभाविक होते हैं, किन्तु अभ्यास से नहीं मिल सकते ।
३. तेरह मानसिकगुण-
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१. उदारता - इस गुण से मनुष्य दूसरे मनुष्य की भूल होने पर सहनशील बना रहता है ।
२. अनुकरणप्रियता- इससे मनुष्य महापुरुषों के सद्गुणों को ग्रहण कर सकता है ।