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उधार
१. उधार न दो और न लो । देने से पंसा और मित्र दोनों खो जाते हैं तथा लेने से किफायत सारी कुण्ठित हो जाती है।
--शेक्सपियर २. उधार देने के विषय में(क) नटे विटे च वेश्यायां, द्य तमार विशेषतः ।
उद्धारके न दातव्यं, मुलनाशो भविष्यति । नट, विट, वेश्या और जुआरी-इन को उधार (ऋण) धन नहीं देना
चाहिए, दने से मूलधन का ही नाश हो जाएगा। (ख) रिश्तेदारों को दिए, रुपये अगर उधार । तो समझो ! दुश्मन बने, अन्न वे रिस्तेदार ।।
—बोहासंचोह (ग) उधारी चे बोतें सब्बा हाथ रीते ।
- मराठी कहावत उधार देना आना नुकसान करना है । (घ) उधार दी र, दुश्मरण की । . उधार दियो र, गिरायक गमायो । • उधार देवणो, लड़ाई मील खेवणी है।
-राजस्थानी कहावत ३. उधार लेने के विषय में(क) उधार मांगना भीख मांगने ले ज्यादा अच्छा नहीं है ।
-लसिंग २३०