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________________ ३० उधार १. उधार न दो और न लो । देने से पंसा और मित्र दोनों खो जाते हैं तथा लेने से किफायत सारी कुण्ठित हो जाती है। --शेक्सपियर २. उधार देने के विषय में(क) नटे विटे च वेश्यायां, द्य तमार विशेषतः । उद्धारके न दातव्यं, मुलनाशो भविष्यति । नट, विट, वेश्या और जुआरी-इन को उधार (ऋण) धन नहीं देना चाहिए, दने से मूलधन का ही नाश हो जाएगा। (ख) रिश्तेदारों को दिए, रुपये अगर उधार । तो समझो ! दुश्मन बने, अन्न वे रिस्तेदार ।। —बोहासंचोह (ग) उधारी चे बोतें सब्बा हाथ रीते । - मराठी कहावत उधार देना आना नुकसान करना है । (घ) उधार दी र, दुश्मरण की । . उधार दियो र, गिरायक गमायो । • उधार देवणो, लड़ाई मील खेवणी है। -राजस्थानी कहावत ३. उधार लेने के विषय में(क) उधार मांगना भीख मांगने ले ज्यादा अच्छा नहीं है । -लसिंग २३०
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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