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छठा भाग तीसरा कोष्टक
(ख) उधार लिया हुआ पैसा गम का सामान बन जाता है ।
(ग) जिसे उधार लेना प्रिय लगता है, उसे अदा करना अप्रिय
लगता है ।
(घ) फूस का तपना और उधार का खाना |
(ड) उधारनी मां ने क़तरा परणे ।
(च) उधार घर की हार
४. नगद और उधार
(क) ए बर्ड इन हैंड इज वर्थ टू इन दि बुश ।
नौ नकद न तेरह उधार | (ख) सपने रासात, परतख रा पाँच ।
(ग) रोकड़ा आज में काले उधार | उधार तो कहे ओ ! खूर्ण बंसीने रो, नगद कहे जी ! जी ! खा खीचड़ो में घी ।
- हिन्दी कहावते
--Aret vapau
- राजस्थानी कहावत
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अंग्रेजी कहावत
— राजस्थानी कहावत
— गुजराती कहावतें
(घ) माँग खाओ, कमा खाओ, चाहे उषाय खाओ
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- राजस्थानी कहावत
५. उधार के प्रशंसक -
(क) उधारे हाथी बंधाय. रोकड़े बकरी पर न बंघाय ।
(ख) लाख लखांरा नीपजं, बड़-पीपल री साख । नटियां महतां नेणसी, तांचो देश तलाक ॥ ( उधार लेकर न देनेवालों के लिए)
- गुजराती कहावत
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