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आत्मरक्षा
1. आत्मरक्षण कुदरत का सबसे पहला कानून है और आत्मबलिदान
सौम्यता का सर्वोच्च नियम । !. अप्पाहु खलु सयवं रक्खियब्बो, सबि'दिएहि सुसमाहिएहि । अरविवओ जाइपह उबेइ, सुरक्खिओ सव्वदुहारण मुच्चइ ॥
दशवकालिक, धूलिका २ गाथा १६ सब इन्द्रियों को वश में करके भात्मा की पापो से सदा रक्षा करनी
चाहिए । .. आपदर्थे धन रक्षद्, दारान् रक्षेद् धनरपि । आत्मानं सततं रक्षेद्, दारैरपि धनरपि ॥
-चाणक्यनोसि १।६ आपत्काल के लिए धन की रक्षा करो। घन से स्त्री की रक्षा करो तथा स्त्री एवं घग से भी सदा आत्मा की रक्षा करो। -- अत्तहियं खु दुहेणु लम्भई ।
--सूत्रकृतांग २२२२३० आत्महित का अवसर मुश्किल से मिलता है । भत्तत्ताए परिवए।
सूत्रकृसांग ११६३२ मात्मरक्षा के लिए संयमशील होकर विचरे ।
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