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व्याज
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१. व्याज ने प्रोड़ा न पहोंचे । • ब्याज ने विसामो नहिं ।
--- गुजराती कहावत २. मिनख कमावं चार पार, ब्याज कामा आठ पोर ।
-राजस्थानी कहावत ___३. व्याज भला-भलानी लाज मुकावें।
—गुजराती कहावत ४. ६५ वर्ष पूर्व मुकाबूराम ने मकान गिरवे राज़ कर १६५६ में उसे छुड़ाने
गया । चक्र ध्याज के हिसाब से २२ करोड ३४ लाख ६५ हजार ७८३
रुपये हुए। ५. एक रामेलका लीधी तो माझा राम (आनो)। चढ़े त्या शुं बाकी रहे ।
---- गुजराती कहावत ६. मूल व्याज प्यारो।
--राजस्थानी कहावत ७. हबीब अजमी एक दिन कर्जदारों के यहाँ से आटा, चावल एवं नवाड़ी
उठाकर ले आये । रांबते समय हांडी में खून देखकर स्त्री चौकी । हबीब प्याज का धन्धा छोड़कर फकीर हो गये ।
--इस्लाम धर्म क्या कहता है ?" के माधार पर
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