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________________ 1 ३ MU १. आठ प्रकार के गुणअष्ट गुणाः पुरुषं दीपयन्ति, प्रज्ञा च कौल्यं दमः श्र ुतं च । पराक्रमश्चावहुभाषिता त्र, विभिन्न प्रकार के गुण दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च ॥ (१) बुद्धि, (२) कुलीनता (३) इन्द्रियसंयम, (६) मितभाषण, (७) यथाशक्ति दान मनुष्य की शोभा को बढ़ानेवाले हैं । (८) - विदुरनीति १।१०४ · (४) ज्ञान (५) शूरता, कुनज्ञता – ये आठ गुण २. चार सहजगुण दातृत्वं प्रियवक्तत्वं. धीरत्वमुचितज्ञता । अभ्यासेन न लभ्यन्ते, चत्वारः सहजा गुणाः ॥ चाणक्यनीति ११ १ उदारता, मिष्टवादिता, धीरता और उचित की जानकारी — ये चार गुण स्वभाविक होते हैं, किन्तु अभ्यास से नहीं मिल सकते । ३. तेरह मानसिकगुण- ६८ १. उदारता - इस गुण से मनुष्य दूसरे मनुष्य की भूल होने पर सहनशील बना रहता है । २. अनुकरणप्रियता- इससे मनुष्य महापुरुषों के सद्गुणों को ग्रहण कर सकता है ।
SR No.090530
Book TitleVaktritva Kala ke Bij
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanmuni
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages837
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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