________________
छठा भाग : दूमरा कोष्ठक
१७॥
पर्याप्त न हो तो याणिज्य, थोड़ा धन हो तो खेती एवं धन बिल्कुल ही न हो नो सेवा-नौकरी करनी चाहिए, लेकिन भोख तो कभी नहीं
मांगनी चाहिए। १०. मांगन-मरन समान है, मत कोई मांगो भीरख ।
मांगन से मरना भला, यह सतगुरु की सीख ॥१॥ मर जाऊ मांग नहीं, अपने तन के काज । पर कारज के वारगो, मांगत माहि न लाज ॥२॥ बिन मांगे मो दुध बरावर, मांगे मिले सो पानी। कहे कबीर सो रक्त बराबर, जामें खींचातानी ।।३।।
.-कबीर ११. अगमांग्या मोती मिन, मांगी मिले न भोख ।
- राजस्थानी कहावत १२. हर एक के पास मत मांग-- (क) याचा मोघा बरमधिगुग्गे नाधमे लब्धकामा।
-~-मेषदूत गुणिजनों के समीप निष्फल मांगना भी अच्छा है, एवं अधमजनों से सफल मांगना भी बुरा है। (ख) आप तो अतीतदाम बाप तो फकीरदास,
दादी है दिगम्बरदास भिखारीदास भाई है। काको है कंगालदास मामो है मंगतदास,
____ नानी है निरंजनदास जोगीदास जमाई है। पुत्र तो लफंदरदास, मित्र है कलंदरदास,
साली है जलंदरदास ऐसी ही बड़ाई है। ताके पास जाये कुछ मांगिवे की आस करी, आस तो गई पं लाज गाँठ को गमाई है ।
-भाषाश्लोकसागर