Book Title: Vaktritva Kala ke Bij
Author(s): Dhanmuni
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 785
________________ ११६ ६. नित्यं हिरण्यव्ययेन मेरुरपि क्षीयते । करने हमेशा ७. अस्सी री आंबद चौरासी रो खर्च | • साहजी सूरा लेखा पूरा । • घर तंग-बहू जबरजंग | ● आभो टोपसी-सो दीखे है । का मेरा भी क्षीण हो जाता है । कला के मीक नीतिवाक्यात ८५ - राजस्थानी कहावतें ८. सन् १९६६-६९ के बजट के अनुसार भारत सरकार की कुल आमदनी ४२६६ करोड ५६ लाख यो तथा खर्च ४५६६ करोड़, ५६ लाख हुआ । हिन्दुस्तान, २ मार्च १९६८ सुरक्षा बजट में अध्ययन के के वर्ष अक्तूबर में ६. संसार का वार्षिक रक्षाव्यय १५ हजार खरब रु०संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्थास्त्र की होड़ तथा निरन्तर वृद्धि के सामाजिक और अधिक परिणामों लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी। उसने गत महासचिव को एक रिपोर्ट दी। उसके अनुसार १६६१ से बीच के दस वर्षो में संसार का रक्षा व्यय ५०० खरब अलर (३७५० खरब रुपये) से बढ़ कर २००० सुरब डालर (१५००० खरब रुपये } वार्षिक हो गया है। - हिन्दुस्तान १ अगस्त १६७२ १६७२ के

Loading...

Page Navigation
1 ... 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837