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१. अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।।
उदार और उदारता
- पञ्चतन्त्र ५/३०
यह अपना है और यह पराया है - ऐसा विचार छोटी समझदा ही करते हैं, उदारचरितों के लिए तो सारी पृथ्वी ही उनका कुटुम्ब है ।
२. उदारमतवाले विभिन्न धर्मो में अनुदार फर्क देखते हैं ।
-सोनी कहावत
३. उदार आदमी का वैभव गांव के बीचोंबीच उगे हुए फलों से लदे हुए के समान है ।
वृक्ष
-- तिरुवल्लुवर
४. परगृहे सर्वोऽपि विक्रमादित्यायते ॥
- नीतिवाक्यामृत १११३१
सभी मनुष्य दूसरों के घर में जाकर उसके धनादि को ध्यय कराने के लिए राजा विक्रमादित्य की तरह उदार हो जाते हैं ।
५. उदारता अधिक देने में नहीं, किन्तु समझदारी से देने में है ।
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— फ्रेंकलिन
६. उदारता के बिना मीटी वाणी पीतल की झनझनाहट एवं करताल की
खनखनाहट है |
- इसाईमंत पाल
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