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महान् पुरुष-महात्मा १. अक्षोभ्यतैव महता, महत्त्वस्य हि लक्षणम् ।
—कयासरित्सागर प्रतिकूल परिस्थिति में क्षुब्ध न होना, महापुरुषों की महत्ता का लक्षण
२. निर्दम्भता सदाचारे, स्वभावो हि महात्मनाम् । महापुरुषों का यह स्वभाव है कि वे अपने सदाचरणों पर बनावटीपन
नहीं आने देते। २. विवेकः सह संपत्या, विनयो विद्यया सह । प्रभुत्वं प्रश्रयोपेतं, चिह्नमेतन्महात्मनाम् ॥
—सुभाषितररम-भागागार, पृष्ठ ४७ संपत्ति के साथ विवेक का होना, विद्या के साथ विनय का होना और
प्रभुत्व के साथ प्रनय-विनय का होना-ये महात्माओं के लक्षण हैं । ४. विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा,
सदसि बाक्पटुता युधिविक्रमः । यशसि चाभिरुचिप्सनं श्रु तो, प्रकृतिसिद्धमिदं हि महात्मनाम् ।।
--भतृहरि-नौतिशतक ६३ विपत्ति में धर्म, ऐश्वर्य में सहिष्णता, सभा में वचन की चतुराई, संग्राम में पराक्रम, सुयश में रुचि, शास्त्रपठन में व्यसन-ये बातें महात्माओं में स्वाभाविक होती है।